________________ रोग हुआ है। प्रायश्चित के द्वारा इनकी चिकित्सा हो सकती है। __सबसे पहले अतिक्रमण का प्रतिक्रमण होना चाहिए। जो-जो अतिक्रमण हुआ है, उसका प्रतिक्रमण आवश्यक होता है। प्रतिक्रमण रूढ़ि नहीं है। यह है अतीत का सिंहावलोकन, अतीत को देखना, समझना, प्रेक्षा करना कि कहां-कहां, कब-कब अतिक्रमण हुआ है और अब कैसे बचा जा सकता है। जिस व्यक्ति में प्रतिक्रमण और प्रायश्चित की चेतना जाग जाती है वह व्यक्ति बहुत शक्तिशाली और पुरुषार्थ-प्रधान बन जाता है। स्थूलभद्र नन्दवंश के प्रधानमंत्री शकडाल का पुत्र था। वह प्रारम्भ से ही विरक्ति का जीवन जी रहा था। पिता ने देखा। उसने सोचा-क्या मेरा पुत्र संन्यासी बनेगा? इतनी विरक्ति कैसे हैं? इसे गृहस्थी में फंसाना है। इसे कामशास्त्र का अध्ययन कराना चाहिए। उसे कोशा वेश्या के घर पर रखा। वह बारह वर्ष तक उसके घर में रहा। फिर ऐसी घटना घटी कि वह मुनि बन गया। गुरु के चार शिष्यों में वह एक था। एक बार चारों शिष्य गुरु के समक्ष आए और प्रार्थना की कि हम विशेष साधना के लिए भिन्न-भिन्न स्थानों में चातुर्मास करना चाहते हैं। एक ने कहा कि मैं सिंह की गुफा में चातुर्मास बिताना चाहता हूं। दूसरे ने कहा कि मैं कुएं की मेंड़ पर चातुर्मास बिताना चाहता हूं। तीसरे ने कहा कि मैं सांप की बांबी पर चातुर्मास करना चाहता हूं। स्थूलभद्र ने कहा कि मैं कोशा वेश्या की चित्रशाला में चातुर्मास बिताना चाहता हूं। विचित्र था निवेदन। गुरु ने स्वीकृति दे दी। स्थूलभद्र कोशा के भवन-द्वार पर पहुंचा। वह अत्यन्त प्रसन्न हुई चिर-परिचित स्थूलभद्र को देखकर। स्थूलभद्र ने कहा-सुन्दरी! मैं तुम्हारी चित्रशाला में चातुर्मास करना चाहता हूं- .. 'यह चित्रशाला विशाला मदनालयसी मलयाचलसी, मैं चाहता हूं करना निवास, जब तक पूर्ण न हो चार मास। कार्तिक पूर्णिमा तक हेमन्त तरुणिमा तक, प्रतिक्रमण 176