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________________ हुई है, कंडिशन्ड है। यह स्वतन्त्र नहीं है। ___सुपर माइंड है निर्मल चेतना, क्षायोपशमिक चेतना। यह जागृत अवस्था है। __ हमारे सामने दोनों स्थितियां हैं, दोनों मस्तिष्क हैं। एक है औदयिक भाव से बंधी हुई चेतना या मस्तिष्क और दूसरी है क्षायोपशमिक भाव से बंधी हई चेतना या मस्तिष्क। ___ मैंने ‘अतीत से बंधा हुआ वर्तमान'-इस विषय में चर्चा की। इसके संदर्भ में अपने उत्तरदायित्व से पलायन करने वाली मनःस्थिति, अपने कर्तृत्व से भाग जाने वाली परिस्थिति से चर्चा की है। सुनने वाले इसमें उलझ सकते हैं। अब हमें औदयिक और क्षायोपशमिक मस्तिष्क के विषय में भी चर्चा करनी है और उस उलझन से निपटना है। 160 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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