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________________ प्रतिबद्धता का प्रश्न स्वतंत्रता और परतंत्रता की चर्चा नयी नहीं है। वह सदा चलती रही है, आज भी हम करते हैं। परतंत्रता के कारणों पर विचार करने से लगता है कि परतंत्रता का एक मुख्य कारण है-वातावरण, परिस्थिति। आदमी वातावरण से इतना प्रभावित होता है कि वह अनचाहा कार्य भी कर लेता है। वह नहीं चाहता कि अमुक कार्य करूं। परन्तु परिस्थिति की परतंत्रता या वातावरण की बाध्यता उससे वह कार्य करा डालती है। ऐसा एक बार नहीं, हजारों बार होता है। एक व्यक्ति के जीवन में नहीं, हजारों व्यक्तियों के जीवन में होता है। आदमी अपने उत्तरदायित्व को बहुत हल्का कर देता है इस उत्तर से कि जब परिस्थिति ही ऐसी थी तो मैं कैसे बच सकता था? छोटे क्षेत्रों की बात छोड़ दें, बड़े-बड़े क्षेत्रों में भी यही चर्चा है। भयंकर अस्त्रों का अंधाधुंध निर्माण हो रहा है। निर्माताओं से पछा जाए कि यह निर्माण क्यों हो रहा है तो उत्तर मिलेगा कि इसका निर्माण ध्वंस के लिए नहीं हो रहा किन्तु परिस्थिति की बाध्यता से किया जा रहा है। यदि हम इनका निर्माण न करें तो दूसरे राष्ट्र युद्ध में उतर जाएंगे। अस्त्रों का निर्माण शक्ति-संतुलन के लिए हो रहा है। कितना अच्छा तर्क है और उसमें परिस्थिति की बाध्यता है। वातावरण दो प्रकार का होता है-बाहर का वातावरण और भीतर का वातावरण। मनोवैज्ञानिकों ने इस विभाजन को स्वीकारा है। बाह्य वातावरण के कुछ उद्दीपक होते हैं। उनके कारण बाह्य वातारण वैसा बन जाता है। इसी के आधार पर आदमी के व्यवहार में परिवर्तन आता है। आदमी का व्यवहार आन्तरिक वातावरण में परिवर्तन करता है, 132 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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