________________ - SATTISTEST जीव विचार प्रकरण REPARTS शब्दार्थ चउपय - चतुष्पद, चार पाँव वाले | उरपरिसप्पा - उरपरिसर्प भुयपरिसप्पा - भुजपरिसर्प य - और थलयरा - स्थलचर तिविहा - तीन प्रकार के गो- गाय सप्प - सर्प नउल - नेवला, न्योला पमुहा - प्रमुख बोधव्वा ते - वे जानने चाहिये समासेणं - समास से (अनुक्रम से) भावार्थ स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय प्राणियों के तीन प्रकार हैं- चतुष्पद (चार पाँव वाले), उरपरिसर्प (पेट के बल चलने वाले), भुजपरिसर्प (भुजाओं से चलने वाले)। वे संक्षेप में अनुक्रम से गाय, सर्प और नेवला जानने चाहिये // 21 // विशेष विवेचन तिर्यंच पंचेन्द्रिय के तीन प्रकारों में से दूसरे स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय के तीन भेदों का विवेचन इस गाथा में किया गया है - (1) चतुष्पद - वे जीव, जिनके चार पाँव होते हैं, वे चतुष्पद कहलाते हैं। जैसे गाय, बैल, घोडा, हाथी, हरिण, सिंह, चीता, गधा, ऊट, बकरी आदि। 101 मंजी पंचेन्द्रिय स्थलघर चित्र : स्थलचर जीवों के भेद