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________________ BRITE जीव विचार प्रकरण SERIES (2) उरपरिसर्प - वे जीव, जो पेट के बल पर चलते हैं, वे उरपरिसर्प कहलाते हैं। जैसे सर्प, अजगर आदि। (3) भुजपरिसर्प - वे जीव, जो भुजाओं के बल पर चलते हैं, वे भुजपरिसर्प कहलाते हैं। जैसे चूहा, बन्दर, लंगूर, छिपकली आदि / खेचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों के भेद गाथा खयरा रोमयपक्खी चम्मयपक्खी य पायडा चेव / नरलोगाओ बाहिं समुग्ग पक्खी वियय पक्खी // 22 // अन्वय रोमयपक्खी य चम्मयपक्खी खयरा पायडा चेव नरलोगाओ बाहिं . समुग्गपक्खी विययपक्खी // 22 // संस्कृत छाया खेचरा रोमज पक्षिणश्चर्मज पक्षिणाश्च प्रकटाश्चैव नरलोका बहिः समुद्गपक्षिणो वितत पक्षिणः // 22 // शब्दार्थ . खयरा - खेचर रोमयपक्खी - रोमज पक्षी चम्मयपक्खी - चर्मज पक्षी | य - और पायडा - प्रकट (प्रसिद्ध) चेव - निश्चय ही नरलोगाओ - मनुष्य लोक से बाहिं - बाहर समुग्गपक्खी - समुद्ग पक्षी विययपक्खी - वितत् पक्षी भावार्थ रोमज पक्षी (रोम से बने हुए पंखों वाले) एवं चर्मज पक्षी (चर्म से बने हुए पंखों वाले पक्षी) प्रसिद्ध हैं। मनुष्य लोक से बाहर समुद्ग पक्षी (सिकुडे हुए पंखों वाले) एवं वितत पक्षी (फैले हुए पंखों वाले) होते हैं // 22 //
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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