________________ - 860 जीव विचार प्रकरण ARTISINESS अन्वय य पंचिंदिया चउहा नारय तिरिया मणुस्स य देवा पुढवी भेएणं नेरइया सत्तविहा नायव्वा // 19 // संस्कृत छाया पंचेन्द्रियाश्च चतुर्धा नारकास्तिर्यंचो मनुष्यदेवाश्च / नैरयिकाः सप्तविधा ज्ञातव्या: पृथ्वी भेदेन // 19 // .. शब्दार्थ पंचिंदिया -पंचेन्द्रिय | य- और चउहा - चार नारय - नारकी तिरिया - तिर्यंच मणुस्स - मनुष्य . देवा - देवता य - और नेरइया - नरक में रहने जीव | सत्तविहा - सात प्रकार के नायव्वा - जानना | पुढवी - पृथ्वी भएणं - भेद से भावार्थ पांच इन्द्रियों वाले जीवों के चार प्रकार हैं- नारकी, तिर्यंच, मनुष्य और देव / पृथ्वी के भेद से नरक में रहने वाले (नारकी) जीवों के सात भेद जानने चाहिये // 19 // विशेष विवेचन जिन जीवों के पांच इन्द्रियाँ होती हैं, वे पंचेन्द्रिय प्राणी कहलाते हैं। पंचेन्द्रिय जीवों के चार प्रकार हैं - (1) नारकी (2) तिर्यंच (3) मनुष्य (4) देवता / इनके स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय और श्रोत्रेन्द्रिय रुप पांच इन्द्रियाँ होती हैं। नरक का परिचय सम्पूर्ण विश्व चौदह राज प्रमाण है / राज एक प्रकार का मापदण्ड है। इस माप से संपूर्ण विश्व चौदह रज्जु (राज) प्रमाण होने से इस लोकको चौदह राजलोक भी कहा जाता है।