________________ BESHARE जीव विचार प्रकरण SERIES टिकी - ये फसल को नष्ट कर देती हैं। इनके समूह को टिड्डी दल कहा जाता है। मक्षिका - मक्खी, मधुमक्खी आदि / कांसारिका - यह उजडे स्थानों में पैदा होती है। डोलक - यह टिड्डी की जाति का हरे रंग का जीव है / इसे खडमांकडी भी कहा जाता है। यह अधिकतर मकई के खेतों में पाया जाता है। भ्रमरिका, डंसा, मच्छर, मकडी आदि से सभी सुपरिचित है / आदि शब्द से पतंगा, पिस्सु, तितली, खद्योत आदि अनेक प्रकार के उड़ने वाले (संपातिम) चतुरिन्द्रिय प्राणी हैं। द्वीन्द्रिय जीवों के प्रायः पाँव नहीं होते हैं। त्रीन्द्रिय जीवों के 4-6 या इससे भी अधिक पाँव होते हैं। चतुरिन्द्रिय के 6-8 या इससे भी अधिक पाँव होते हैं। मुंह के आगे दो बाल हो तो त्रीन्द्रिय एवं सींग के समान दो बाल हो तो चतुरिन्द्रिय जानना चाहिये / द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय एवं चतुरिन्द्रिय को विकलेन्द्रिय भी कहा जाता हैं / पर्याप्ता और अपर्याप्ता के भेद से इनके कुल छह भेद होते हैं। विकलेन्द्रिय जीवों के छह भेद (1) द्वीन्द्रिय जीवों के दो भेद 1) द्वीन्द्रिय पर्याप्ता . 2) द्वीन्द्रिय अपर्याप्ता (2) त्रीन्द्रिय जीवों के दो भेद 1) त्रीन्द्रिय पर्याप्ता 2) त्रीन्द्रिय अपर्याप्ता (3) चतुरिन्द्रिय जीवों के दो भेद 1) चतुरिन्द्रियं पर्याप्ता ... 2) चतुरिन्द्रिय अपर्याप्ता .. पंचेन्द्रिय जीवों के भेद _गाथा पंचिंदिया य चउहा नारय तिरिया मणुस्स देवा य / नेरइया सत्तविहा, नायव्वा पुढवी भेएणं // 19 //