________________ SHETRESSERISIS जीव विचार प्रकरण PARENTIRETIRS प्रविष्ट हो जाता है, बाद में ये जीव कुछ समय के बाद लम्बे धागे के समान मनुष्य के हाथ /पाँव से बाहर निकलते हैं, उस वक्त भयंकर दर्द का अनुभव होता है। . द्विदल - द्विदल के साथ कच्चा दही, छाछ आदि ग्रहण करने से द्वीन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति होती हैं। द्विदल अर्थात् जिसको तोडने से दो भाग हो जैसे चना, मोठ आदि। त्रीन्द्रिय जीवों के भेद गाथा गोमी मंकण जूआ पिपीलि उद्देहिया य मक्कोडा / इल्लिय घय मिल्लीओ सावय गोकीड जाइओ // 16 // अन्वय गोमी मंकण जूआ पिपीलि उद्देहिया मक्कोडा इल्लिय घय मिल्लीओ सावय य गोकीड जाइओ // 16 // संस्कृत छाया , गुल्मी - मत्कुण यूके पिपील्यूपदेहिका च मत्कोटकाः / ईलिका घृतेलिका: सावा गोकीटक जातयः / / 16 / / शब्दार्थ गोमी - कानखजूरा मंकण - खटमल जूआ - जूं, यूका, लीख पिपीलि - चींटी (कीडी) उद्देहिया - दीमक, उदेही य - और मक्कोडा - चींटा (मकोडा) इल्लिय - इल्ली . घयमिल्लीयो - घृतेलिका सावय - सावय, चर्मयूका गोकीडजाइओ-गोकीट की जातियाँ भावार्थ कानखजूरा, खटमल, यूका, चींटी, दीमक, चींटा, इल्ली, घृतेलिका, चर्मयूका, गोकीट की जातियाँ त्रीन्द्रिय जाति के जीव हैं // 16 //