________________ - SOTRY जीव विचार प्रकरण होती हैं एवं भय की स्थिति में ढाल के समान कठिन भाग में छिप जाती हैं / छोटी-बड़ी कई प्रकार की निर्जीव कौडियाँ खेलने में काम आती हैं। गंडोल - पेट में जो मोटे कीडे उत्पन्न होते हैं, उन्हें गंडोल कहते हैं। इन्हें मल्हप भी कहा जाता है। | दो इन्द्रिय के जीव. चित्र: द्वीन्द्रिय जाति के जीव जोंक - यह पानी में उत्पन्न होती है। शरीर के खराब खून को चूसती है / अक्ष - इसे चंदनक एवं आयरिया के नाम से भी पुकारा जाता है / इसके निर्जीव शरीर को तपागच्छीय परम्परा में स्थापनाचार्य के रुप में रखा जाता है / केंचुए - वर्षा ऋतु में सर्प के समान लम्बे-पतले एवं लाल रंग के जीव उत्पन्न होते हैं, उन्हें केंचुआ कहा जाता है / इसके अन्य नाम अलसिया एवं भूनाग भी है / लालयक - बासी रोटी में जो जीव उत्पन्न होते हैं, उन्हें लालयक कहा जाता है / मेहरि - लकडी की घून में उत्पन्न होने वाले जीव मेहरि कहलाते हैं। कृमि - पेट, फोडे और बवासीर में पैदा होने वाले जीव कृमि कहलाते हैं। पूरा - पानी में उत्पन्न होने वाले वे जीव जिनका मुंह श्याम वर्ण का होता है एवं काया श्वेत एवं रक्त वर्ण की होती है, पूरा कहलाते हैं। मातृवाहिका - चुडेल के नाम से जानी जाने वाली मातृवाहिका अधिकतर गुजरात प्रदेश में पैदा होती है। इत्यादि शब्द से नाहरु, द्विदल आदि जीवों को ग्रहण करना चाहिये। नाहरू - पानी छानकर नहीं पीने से या गंदा पानी पीने से नाहरु नामक जीव शरीर में