________________ RETIRE जीव विचार प्रकरण HIGHREE अन्वय अणंतकायाणं इच्चाइणो अणेगे भेया हवंति तेसिं परिजाणणत्थं एयं लक्खणं सुए भणियं // 11 // संस्कृत छाया इत्यादयोऽनेके भवन्ति भेदा अनन्तकायानाम् / तेषां परिज्ञानार्थं लक्षणमेतच्छुते भणितम् // 11 // शब्दार्थ इच्चाइणो - इत्यादि अणेगे - अनेक हवंति - होते हैं भेया - भेद अणंत - अनंत कायाणं - कायिक (जीवों के) . तेसिं - उनको परिजाणणत्थं - अच्छी तरह जानने के . लक्खणं - लक्षण लिये एवं - यह सुए - शास्त्र में भणियं - कहे गये हैं। . भावार्थ इत्यादि (पिछली गाथा से) अनन्तकायिक जीवों के अनेक भेद होते हैं। . उनको अच्छी तरह जानने के लिये यह (ये) लक्षण शास्त्र में कहे गये हैं // 11 // साधारण वनस्पतिकायिक जीवों के लक्षण . . गाथा गूढ-सिर-संधि-पव्वं सम-भंगमहीरगं च छिन्नरूह / साहारणं सरीरं तब्विवरियं च पत्तेयं // 12 // अन्वय गूढ-सिर-संधि च पव्वं समभंग-अहीरगं छिन्नरूहं साहारणं सरीरं च तविवरियं पत्तेयं // 12 //