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________________ REETIRE जीव विचार प्रकरण HIROINE संसारिणो - संसारी, जो जन्म-मृत्यु य - और रूपी संसार की पीडा से ग्रस्त हैं / | तस - त्रस थावरा - स्थावर य - और संसारी - संसारी पुढवी - पृथ्वीकाय .. जल - अप्काय, पानी जलण - तेउकाय, अग्निकाय वाउ - वायुकाय, हवा वणस्सई - वनस्पतिकाय थावरा - स्थावर नेया - जानना चाहिये / भावार्थ मुक्त और अमुक्त (संसारी) दो प्रकार के जीव हैं / त्रस और स्थावर संसारी जीव हैं। पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय और. वनस्पतिकाय स्थावर जानने चाहिये // 2 // विशेष विवेचन प्रस्तुत गाथा में जीवों के मुख्य भेद एवं संसारी तथा स्थावर जीवों के भेद बताये गये हैं। समस्त जीव राशि को मुख्य तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है - (1) मुक्त जीव - वे जीव, जिन्होंने आठों कर्मों का क्षय कर लिया हैं, जन्म-मरण के चक्रव्यूह से मुक्त हो गये हैं, वे मुक्त (सिद्ध) जीव कहलाते हैं। (2) संसारी जीव - वे जीव, जो संसार में परिभ्रमण कर रहे हैं, अष्ट कर्मों से मुक्त नहीं हुए हैं, वे संसारी जीव कहलाते हैं। EAKERAL संसारी लाल NAIKH SUSA Myco . . .. . .. .. MASARSIC . चित्र : मुक्त एवं संसारी जीव
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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