________________ SEASE जीव विचार प्रकरण HERE संसारी जीवों के प्रमुख रुप से दो भेद हैं(१) त्रस जीव - वे जीव, जो सुख-दुःख की परिस्थितियों में इच्छानुसार गमनागमन कर सकते हैं, दौड सकते हैं, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं, वे त्रस जीव कहलाते हैं / जैसे - देव, मनुष्य, नारकी, हाथी, घोडा, चींटी इत्यादि। (2) स्थावर जीव - वे जीव, जो अनुकूल- प्रतिकूल परिस्थितियों में एक स्थान से अन्य स्थान पर आ-जा नहीं सकते हैं, इच्छानुसार गमनागमन नहीं कर सकते हैं, वे स्थावर जीव कहलाते हैं। जैसे - पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय वनस्पतिकाय। इन्द्रियों की अपेक्षा से त्रस जीवों को चार भागों में बांटा जा सकता है(१) द्वीन्द्रिय जीव - जिन जीवों के स्पर्शनेन्द्रिय और रसनेन्द्रिय रुप दो इन्द्रियाँ होती हैं, वे द्वीन्द्रिय कहलाते हैं। .(2) त्रीन्द्रिय जीव - जिन जीवों के स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय और घ्राणेन्द्रिय रुप तीन ... इन्द्रियाँ होती हैं, वे त्रीन्द्रिय कहलाते हैं / (3) चतुरिन्द्रिय जीव - जिन जीवों के स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय - रुप चार इन्द्रियाँ होती हैं, वे चतुरिन्द्रिय कहलाते हैं / (4) पंचेन्द्रिय जीव - जिन जीवों के स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय . और श्रोतेन्द्रिय रुप पांच इन्द्रियाँ होती हैं, वे पंचेन्द्रिय कहलाते हैं। स्थावर जीवों के भेद स्थावर जीवों को प्रमुखतया पांच भागों में विभाजित किया जा सकता हैं(१) पृथ्वीकाय - जिन जीवों की काया पृथ्वी रुप है, वे पृथ्वीकायिक जीव कहलाते हैं। जैसे पाषाण, मिट्टी आदि। (2) अप्काय - जिन जीवों की काया जल/पानी रुप है, वे अप्कायिक जीव कहलाते हैं। जैसे तालाब, नदी आदि का पानी। (3) तेउकाय - जिन जीवों की काया अग्नि रुप है, वे तेउकायिक जीव कहलाते हैं / जैसे अग्निकण, ज्वाला आदि।