________________ HTTERT जीव विचार प्रकरण HTTER हँसी... न मजाक ! केवल और केवल स्वाध्याय / विहार के दौरान कण्ठस्थ स्वाध्याय तो विश्राम के दौरान लेखन से स्वाध्याय / अभी माह भर पूर्व ही उनके द्वारा संकलित 650 पृष्ठ के "प्यासा कंठ मीठा पानी" नामक विशालकाय प्रश्नोत्तर ग्रंथ का विमोचन हआ। वह ग्रंथ भी अपने आप में अमूल्य और अतुलनीय है जो उनके श्रमसाध्य अथक पुरूषार्थ का उजला हस्ताक्षर है। मैं उनके इस असाधारण ज्ञान-दर्शन-चारित्रमय जीवन से गौरवान्वित तो हूँ ही लेकिन उससे भी ज्यादा मैं गद्गद हूँ उनकी अप्रमत्तता पर ! अभिभूत हूँ उनकी आत्मलक्षी संकल्प-प्रतिबद्धता पर ! आश्चर्यचकित हूँ उनकी अप्रतिम ज्ञानसाधना पर! मेरे लिये यह परम आह्लाद और गर्व का विषय है कि वे भी उसी कोख में पले हैं, जिस कोख में मैं पली हूँ। उम्र की अपेक्षा वे मुझ से लगभग 6 वर्ष छोटे हैं। और संयम पर्याय की अपेक्षा से भी उन्हें दीक्षित हुए मात्र 5 वर्ष ही हुए हैं पर उनकी आचार पालन में दृढता, संयम तथा गुर्वाज्ञा के पालन में तत्परता एवं स्वाध्याय - अध्ययन में जागरूकता मेरे लिये आदर्श और प्रेरणा का पाथेय बन गयी है। इस लघुवयी मेरे अनुज मुनि ने अपने आचार-विचार और व्यवहार की जिन ऊँचाईयों का स्पर्श किया है, निश्चित् रूप से यह उनके उज्ज्वल और स्वर्णिम भविष्य का शुभ संकेत है। जीवविचार की यह अर्थपूर्ण सारगर्भित विवेचना एवं प्रश्नोत्तरी तत्त्वजिज्ञासु, ज्ञानपिपासु, अध्ययनरसिक भव्य आत्माओं के स्वाध्याय का प्रमुख आधार बनेगी। इसके पठन से जीवमात्र के प्रति यदि करूणा मैत्री भावना उपजेगी तो वह भावदया निश्चित ही स्वयं के उद्धार और निस्तार का आधार बनेगी। इसके स्वाध्याय से जीव द्रव्य विषयक ज्ञान प्राप्त कर हम आत्मा के श्रद्धान में दृढ़ बने / इसी शुभभावना के साथ...। . भ. महावीर निर्वाण विद्युत् गुरू चरणाश्रिता मुंबई- 2006 सिटी नीलांजना साध्वी डॉ. नीलांजना श्री