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________________ SASTERBERIS जीव विचार प्रकरण GEETESTHETI आवश्यकता है हम सृष्टि की रचना को तथा हमारे अपने जीवन में उपकारी होती छोटी से छोटी एवं बडी से बड़ी चेतना को जानने एवं समझने का उपक्रम करें। प्रस्तुत पुस्तक में अनुज मुनि श्री मनितप्रभजी ने अथक पुरूषार्थ द्वारा जीव संबंधी ज्ञान को समग्रता के साथ सरल एवं स्पष्ट भाषा में एक ही स्थान पर परोस कर अहिंसक समाज को एक अनमोल उपहार दिया है। मेरी कामना है वे सतत् अध्ययनरत रहते हुए तत्त्व संबंधी साहित्य का और अधिक सृजन करें, साथ ही मेरे लिये भी प्रार्थना करें कि मैं भी अप्रमत्त स्थिति को उपलब्ध होकर ज्ञान साधना में आगे बढूं। विधा साध्वी डॉ. विद्युत्प्रभाश्री
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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