________________ 8. इन्द्रियां-५ हरेक प्राणी में रही हुई आत्मा की चैतन्य शक्ति छद्मस्थ जीव इन्द्रिय के द्वारा ही जान सकता है। इसलिए इन्द्रिय, आत्मा को पहचानने का चिह्न है। इन्द्रिय शब्द का अर्थ इस प्रकार है :- ‘इन्द्र' याने आत्मा और उसको ‘इय' प्रत्यय चिन्ह के अर्थ में लगाने से इन्द्रिय शब्द होता है। इसलिए इन्द्रिय का अर्थ आत्मा का चिन्ह होता है। 1. हर जीवित जीव के शरीर में ठंड़ा गरम आदि 8 प्रकार के स्पर्श को पहचानने के लिए स्पर्शनेन्द्रिय है, वह इन्द्रिय शरीर के अंदर और बाहर सभी जगह सूक्ष्म रूप से फैली हुई है। शरीर के ऊपर की त्वचा आदि में फैली हुई होने के कारण उनका बाराकार कोइ निश्चित नहीं है। फिर भी व्यवहार से बाह्य चमड़ी को लोक में स्पर्शनेन्द्रिय कहते है। शरीर के बाहर का, या अंदर का, कोई भी भाग इस इन्द्रिय के बिना नहीं होता है। याने शरीर के अंदर जठर, उदर, हृदय आदि कोई भी भाग पर गरम पानी डालने से उनको उष्णता महसुस होये बिना नहीं रहती है। 2. एकेन्द्रिय के सिवाय अन्य जीवों को मधुर, तीखा, कड़वा आदि रस को जानने के लिए रसनेन्द्रिय भी है। सामान्यतः प्राणीओं के मुंह में दिखनेवाली जीभ को रसनेन्द्रिय कहते है। _____3. एकेन्द्रिय और बेइन्द्रिय के सिवाय अन्य जीवों को सुगन्ध, दुर्गन्ध को पहचानने के लिए घ्राणेन्द्रिय भी होती है। सामान्यतः नाक को घ्राणेन्द्रिय कहते है 4. एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय के सिवाय अन्य जीवों को सफेद, लाल, पीला आदि रंगों को देखने के लिये चक्षुरिन्द्रिय भी होती है। सामान्यतः आंख को चक्षुरिन्द्रिय कहते है। 5. एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय के सिवाय अन्य जीवों | दंडक प्रकरण सार्थ - (22) . इन्द्रियांद्वार