________________ 6) शुक्ल अति सफेद अति सुगंधी अति मधुर अति स्निग्ध अतिशांत इसमें तीन लेश्या अशुभ है और तीन शुभ है। चौदहवां अयोगी गुणस्थानक के अलावा दूसरे किसी भी गुणस्थानक में रहे हुए मनुष्यों का तथा पांचवे गुणस्थानक तक रहे हुए तिर्यंचों को उपरोक्त संभवित कोई न कोई लेश्या अंतर्मुहूर्तअंतर्मुहूर्त पर बदलती रहती है। तथा देव, नरक की लेश्या पश्चात् भव में आगे से और आगामि भव में अन्तर्मुहूर्त काल तक साथ में रहती है। लेश्या के भाव समझने के लिए जामुन खाने की इच्छावाले, छ भूखें आदमी का और छ डकैती डालनेवाले का दृष्ठांत बहुत उपयोगी है। जामुन खानेवाले के छ अभिप्राय :1) पेड़ को जड़ से उखाड़ दो। 2) नही, बड़ी-बड़ी शाखाए काटे। 3) नही, छोटी-छोटी शाखाए काटे। 4) नहीं, जामुन का गुच्छा ही तोडे। 5) नहीं, जामुन के सिर्फ फल ही तोडे। 6) नहीं, सिर्फ भूमि पर गिरे हुए ही खाये। ... डकैती डालनेवाले के छ अभिप्राय :1) मनुष्य और पशुओं सभी को काट डालो। 2) नहीं, सिर्फ मनुष्य को मारो। .3) नहीं, औरतों को नहीं मारना। 4) नहीं, पुरुषों में भी शस्त्रधारी के अलावा, सभी पुरुषों को नहीं. / 5) नहीं, प्रतिकार करनेवाले शस्त्रधारी को ही मारना। 6) नहीं. किसी को मारे बिना, सिर्फ धन-माल हड़प कर चले जायें दंडक प्रकरण सार्थ / कषाय - लेश्या द्वार