________________ गाथार्थ अति संक्षिप्त संग्रह इस तरह है :- शरीर, अवगाहना, संघयण, संज्ञा, संस्थान, कषाय, लेश्या, इन्द्रिय, दो समुद्घात, दृष्टि, दर्शन, ज्ञानअज्ञान, योग, उपयोग, उपपात, च्यवन, स्थिति, पर्याप्ति, किमाहार, संज्ञी, गति, आगति और वेद। विशेषार्थ 24 दंडक पद में उतारने योग्य याने जानने योग्य द्वार 24 से भी ज्यादा होने पर भी यहां पर अति संक्षेप से सिर्फ 24 द्वारों का ही संग्रह किया हैं। इसलिए मूल गाथा में संखित्तयरी उ इमा' (यह अति संक्षिप्त है) ऐसा कहा है। इसलिए टीकाकार ने भी इस प्रकरण का नाम लघु संग्रहणी रखा हैं। . 1. शरीर-५ औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, कार्मण . 2. अवगाहना-६ औदारिक :- जघन्य - उत्कृष्ट वैक्रिय :- जघन्य-उत्कृष्ट आहारक :- जघन्य-उत्कृष्ट 3. संघयण 6 :-1. वज्र ऋषभ नाराच 4. अर्ध नाराच 2. ऋषभ नाराच ५.कीलिका 3. नाराच 6. छेवट्ठ ___4. संज्ञा 4-6-10-16 आहार, भय, मैथुन, परिग्रह ओघ, लोक, क्रोध, मान माया, लोभ, मोह, धर्म सुख, दुःख, जुगुप्सा, शोक संस्थान 6 :-समचतुरस्र, न्यग्रोध परिमंडल 5. दंडक प्रकरण सार्थ (8) 24 दारों का संक्षिप्त संग्रह