________________ संस्कृत अनुवाद :एवमाभ्यन्तरिकाश्चतस्त्रःपुनरष्टाविंशतिसहसैः। पुनरपिषट्पञ्चाशतासहस्रान्ति चतस्त्रः सलिलाः॥२२|| अन्वय सहित पदच्छेद पुणएवं अख्तिरिया चउरोअट्ठवीससहस्सेहिं पुणअवि चउसलिलाछप्पनेहिंसहस्सेहिंजंति॥२२|| शब्दार्थ :अभिंतरिया- मध्यक्षेत्र की चउरो- चार नदिया अट्ठवीस- अट्ठाईस . / सहस्सेहिं- हजार सलिला- नदी गाथार्थ : तथा इस तरह अंदर के प्रदेश की चार नदी, अट्ठाईस-अट्ठाईस हजार नदीयों के साथ और दूसरी चार नदी छप्पन्न-छप्पन्न हजार नदीयों के साथ समुद्र में जाती है। विशेषार्थ : हिमवंत, हिरण्यवंत, हरिवर्ष, और रम्यक् ये चार क्षेत्र अभ्यंतर क्षेत्र है / क्योंकि भरत, ऐरावत बाह्य क्षेत्र है। महाविदेह मध्य क्षेत्र है। बाह्य और मध्य के बीच रहे हुए होने से वे अभ्यंतर क्षेत्र कहलाते है और इस क्षेत्र में बहनेवाली नदीयां भी अभ्यंतर नदी कही जाती है। रोहिता- हिमवंत क्षेत्र में / पूर्व की ओर बहती है / 28000 नदी परिवार के साथ रोहितांशा-हिमवंत " | पश्चिम " सुवर्णकुला-हिरण्यवंत " | पूर्व " | लघु संग्रहणी सार्थ (169) वदियाँ का परिवार "