________________ 7. श्रेणियां गाथा :विज्जाहर-अभिओगिय,सेढीओदुन्नि दुन्नि वेयड्ढे। इयचउगुण चउतीसा, छत्तीससयंतुसेढीणं॥१९|| संस्कृत अनुवाद विद्याधराभियौगिकश्रेण्यौद्रेद्वेवैतादये। इतिचतुर्गुणचतुस्त्रिशतषत्रिशदुतरशतंतुश्रेणीनाम||१९|| अन्वय सहित पदच्छेद वेयइढे विज्जाहर अभिओगिय दुन्नि दुन्निसेढीओ। इयचउतीसाचउगुणतुसयंछतीससेढीणं॥१९॥ शब्दार्थ :विजाहर- विद्याधर मनुष्यों की | दुन्नि दुन्नि- दो - दो अभियोगिय- अभियोगिक देवों की | छत्तीसयं- एकसो छत्तीस सेढीओ- श्रेणियां, नगर की पंक्तिया सेढीणं- श्रेणियों की संख्या गाथार्थ : वैताढय पर्वत ऊपर विद्याधर मनुष्यों और अभियोगिक देवोंकी दो दो श्रेणियां है। इस तरह चौंतीस को चार से गुणा करने पर एकसो छत्तीस श्रेणियां होती हैं। विशेषार्थ : विद्याधर की श्रेणियां :- वैताढ्य पर्वत पर 10 योजन की ऊंचाई पर जाने से वहां 10 योजन चौडाई का और वैताढय जितनी लंबाई वाले उत्तर और लघु संग्रहणी सार्थ (162) श्रेणियां