________________ अग्निकाय से असंख्यातवा भाग के जितने है / समू. तिर्यंच पंचे. का अल्पबहुत्व गर्भज तिर्यंच पंचे. के समान ही जानना क्योंकि समू. तिर्यंच पंचे. का अल्पबहुत्व शास्त्रों में अलग देखा नहीं है। अल्प बहुत्व गाथा पज्जमणु, बायरग्गी,वेमाणिय,भवण, निरय,वंतरिया. जोइस, चउ, पणतिरिया,बेइंदि,तेइंदि.भू,आऊ|४|| वाऊ,वणस्सइ,च्चिय,अहिया अहियाकमेणिमेहुंति। सब्वेविइमेभावाजिणा! मएणंतसोपत्ता॥४२॥ संस्कृत अनुवाद पर्याप्तमनुजबादराग्निवैमानिक भवनपति नैरयिकत्यन्तरकाः ज्योतिश्चतुःपञ्चेन्द्रियतिर्यचो,द्रीन्द्रियत्रीन्द्रियभ्वापः॥४|| वायुर्वनस्पतिश्चैवाधिकाऽधिका क्रमेणेमेभवन्ति सर्वेऽपीमेभावाजिना! मयाऽनन्तशःप्राप्ताः॥४२|| अन्वय सहित पदच्छेद पज्जमणुबायरअग्गी, वेमाणिय भवण निरयवंतरिया जोइसचउपण तिरिया, बेइंदितेइंदिभूआऊ||४|| वाउवणस्सइइमेकमेणच्चियअहिया अहियाहृति। (हे) जिणाइमेसवेअविभावामएअणंतसोपत्ता॥४२|| शब्दार्थ बायर-बादर वाऊ-वायुकाय आऊ-अप्काय अग्गी-अग्नि पत्ता-प्राप्त किये च्चिय-निश्चय | दंडक प्रकरण सार्थ (116) . अल्प बहुत्व |