________________ शब्दार्थ पमुहंमि-आदि में नवगे-नव में ठाण-स्थान, दंडक दसगा-दस में से, दस तियं-त्रिक, तीन तहिं-वहां, पृथ्वी आदि 10 पद में जंति-जाते हैं। गाथार्थ ___अग्निकाय और वायुकाय की गति (जाना) (मनुष्य के सिवाय) पृथ्वीकायादि नव पदों में होती है। पृथ्वीकायादि दस पदों में से विकलेन्द्रिय त्रिक में जाते है और विकलेन्द्रिय त्रिक वहां पृथ्वी आदि दस में जाते हैं। ... गर्भज तिर्यंचों और मनुष्यों की गति-आगति गाथा गमणागमणंगब्भय-तिरियाणंसयलजीवठाणेसु। सव्वत्थजंतिमणुआ, तेऊवाउहिंनोजंति॥३९॥ संस्कृत अनुवाद गमनागमनं गर्भज-तिरश्चांसकलजीवस्थानेषु सर्वत्र यान्ति मनुजास्तेजोवायुभ्यांनोयान्ति॥३९॥ अन्वय सहित पदच्छेद गब्भय तिरियाणंगमणआगमणंसयलजीवठाणेसु मणुआसव्वत्यजंति, तेउवाउहिंनोजंति॥३९॥ शब्दार्थ गमण-जाना, गति, उत्पत्ति आगमणं-आना, आगति दंडक प्रकरण सार्थ सव्वत्थ-सर्वत्र, सभी दंडक _ पदों में सब जगह (106) गति - आगति द्वार चालु