________________ अन्वय सहित पदच्छेद पुढवी आउवणस्सईपुढवीआइदसपएसुजन्ति यतेउ-वाउसुपुढवीआईदसपएहिउववाओ॥३७॥ शब्दार्थ पएसु-पदों में पुढवाई-पृथ्वीकायादि दस-दश पएहिं-पद में से (दंडकों में से निकले हुए जीव) उववाओ-उपपात, उत्पन्न गाथार्थ पृथ्वीकाय, अप्काय और वनस्पतिकाय पृथ्वीकायादि दस पदों में जाते है। अग्निकाय और वायुकाय में पृथ्वीकायादि दस पदों में से निकले हुए जीवों की उत्पत्ति होती हैं। - तेउ, वायु की गति-विकलेन्द्रियों की गति-आगति गाथा तेउवाऊ-गमणं पुढवीपमुहंमि होइपयनवगे। पुढवाइठाणदसगा विगलाई(इ)तियंतहिंजंति॥३८॥ संस्कृत अनुवाद तेजोवायुगमनं, पृथ्वीप्रमुखेभवति पदनवके। पृथ्व्यादिस्थानदशकाद, विकलत्रिके (विकलादि) त्रिकं तत्रयान्ति // 38 // अन्वय सहित पदच्छेद तेऊवाऊगमणं, पुढवीपमुहंमिपयनवगे होइ पुढवीआईठाणदसगा विगलाईतियंतहिंजंति॥३८॥ दंडक प्रकरण सार्थ (105) गति - आगति द्वार चालु