________________ परिशिष्ट 2 : कथाएं उसका दास बन गया। सज्जन बोला-"अब तो धर्म की जय बोलना छोड़ दो लेकिन ललितांग अपने निर्णय पर दृढ़ रहा। सज्जन बोला-"अब दूसरे गांव के लोगों से पूछा जाए कि वे इस प्रश्न का क्या उत्तर देते हैं ? अब शर्त यह है कि यदि तुम हार जाओगे तो मैं तुम्हारी दोनों आंखें निकाल लूंगा।" कुमार ने उसकी वह शर्त भी स्वीकार कर ली। दूसरे गांव के लोगों ने भी वही उत्तर दिया। उस समय भी ललितांगकुमार बोला-“हे वन देवताओं! मुझे धर्म का सहारा है, यह कहकर शर्त के अनुसार उसने छुरी से अपनी दोनों आंखें निकालकर दे दी। सज्जन घोड़े पर चढ़कर आगे चला गया। उसी समय सूर्यास्त हो गया। वह वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ हो गया। वहां भारण्ड पक्षी आपस में बोले-"यहां से पूर्वदिशा में चम्पा नामक नगरी है। वहां जितशत्रु राजा की राजकुमारी जन्मान्ध है। यदि कोई इस वृक्ष में लिपटी लता का रस निचोड़कर भारण्ड पक्षी की बीट मिलाकर आंख में डाले तो राजकुमारी की आंख ठीक हो सकती हैं। आंखं ठीक करने वाले को राजा आधा राज्य देंगे और राजकुमारी से उसकी शादी करेंगे। यदि आज राजकुमारी ठीक नहीं हुई तो राजा और रानी कल चिता में प्रवेश करेंगे। ललितांगकुमार ने सारी बातें सुनकर लता को काटकर दवा तैयार कर ली। उसने दवा अपनी आंख में डाली, जिससे उसे पुनः रोशनी प्राप्त हो गई। राजकुमारी की आंखें भी ठीक हो गईं। राजा ने राजकुमारी के साथ ललितांगकुमार का विवाह करके आधा राज्य उसे दे . दिया। . एक दिन ललितांगकुमार गवाक्ष में बैठा था। उसे राजपथ पर वह अधर्मिष्ठ सेवक दीन-हीन अवस्था में दिखाई दिया। ललितांगकुमार ने उसे ऊपर बुलवाया और कहा कि मैं वही ललितांग हूं, जिसकी तुमने आंखें निकाली थीं। ललितांग ने उसे अच्छे कपड़े दिए और वहीं महल में रहने का स्थान दिया। सज्जन बोला-"अब मैं आपकी बात पर विश्वास करता हूं कि सचमुच धर्म की जय होती है। एक दिन राजकुमारी ने अपने पति