________________ विषय-शीर्षक पृष्ठ सं. ......... ...........329 .......... .......... ............347 ..............356 स्वप्र में भी मन का बाह्य गमन नहीं स्वप्न अनुभूत क्रिया फलरहित स्वप्न की घटना भावी फल की निमित्त स्त्यानर्द्धि निद्रा के दृष्टान्त मनःकृत व्यञ्जनावग्रह नहीं मन का कोई अनुपलब्धि-काल नहीं मन की अप्राप्यकारिता में सब विषयों का ग्रहण क्यों नहीं? अर्थावग्रह में सामान्य अर्थ का ग्रहण ....... अर्थावग्रह पूर्वक ही ईहा ............... व्यञ्जनावग्रह व अर्थावग्रह में अन्तर .. अर्थावग्रह में विशेषबुद्धि मानने पर दोष ....... सिद्धान्त-विरोध आदि दोष भी .... अवग्रह में आलोचन (निर्विकल्पक) ज्ञान का विचार .......... अर्थावग्रह ही आलोचन ज्ञान .......... अवग्रह, ईहा, अपाय में प्रत्येक परस्पर भिन्न अवग्रह में बहु, बहुविध आदि प्रकार कैसे? अपेक्षा से अपाय-व्यावहारिक अवग्रह धारणा, वासना व स्मृति का काल . व्यावहारिक अर्थावग्रह मानने से लाभ ............. ईहा का व्याख्यान ..... अपाय का व्याख्यान ............ धारणा का व्याख्यान ....... रूप आदि शेष विषयों में ईहा आदि अवग्रह आदि की क्रमवर्तिता .......... ज्ञेय का स्वभाव भी अवग्रहादि की क्रमवर्तिता में अनुकूल आभिनिबोधिक आदि अनेक भेद अट्ठाईस भेदों में बुद्धिचतुष्टय का अन्तर्भाव युक्तियुक्त नहीं ....... परिशिष्ट विशेषावश्यक भाष्य (व नियुक्ति) की वर्णक्रमानुसार गाथाएं सभद्र साहित्य .......... ........ ............. .............. ............ .445 ............448 *******************[16]*******************