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________________ सुहकम्मविहाणओ सूलीए भोत्तव्वं कम्मं सूईए अवगच्छेइ, इह रायपुत्तस्स कहा-७० _एगनरवइणो दुण्णि महिसीओ संति, ताणं दुण्हं एगदिवसम्मि पुत्तरयणं समुप्पणं / एगो एगाए घडीए पुव्वं संजाओ, तेण सो महंतो भाया अवरो य लहू बंधू कहिज्जह / रण्णा महामहेण ताणं जम्मूसवो विहिओ / राया नेमित्तिअं आहविऊणं एएसि जम्मवग्गं कट्ढाहि फलाएसं च वयाहि त्ति पुच्छेइ / सो दीहकालं जम्मकुंडलिं निरिक्खिऊणं फलादेसं कहेइ-पुव्वं जिट्ठभाउणो फलं एवं वएइ-गुरुभाउणो एगवीसवरिसम्मि संजाए जम्मट्ठमीए बीयदिवसम्मि तइयघडिगा समए चक्कवट्टी महाराओ होहिइ / एयं सोच्चा सव्वे अईव संतुट्ठा / रायमहिसी कंठाओ रयणहारं निक्कासित्ता नेमित्तिअस्स देइ / तओ लहुबंधुणो फलादेसं कहेइ-लहुकुमारस्स एगवीसइमवरिसम्मि समागए जम्मट्ठमीए बीयदिणम्मि चइयपहरम्मि सूलीए समारोहणं होही / एवं सुणंताणं सव्वेसिं महादुक्खं संजायं / लहुमहिसीए मुहं नियपुत्तस्स अणिट्ठसवणेण नित्तेअं मिलाणं च जायं / रण्णा पुणो पुणो पुच्छिए वि ‘नन्नहा भविस्सइ' त्ति रायजोइसिएण वुत्तं / दुण्हं कुमाराणं जम्मपत्तिगाओ सुरक्खियट्ठाणे रक्खिया / 'अणिट्ठागमणसवणे जत्तो न मोत्तव्वो' एवं
SR No.004269
Book TitlePaiavinnankaha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKastursuri, Somchandrasuri
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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