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________________ ..84 ...........116 पहर्भात्तपहावम्मि निद्धणचंदर्वाणयस्स कहा बासीइयमी भावणाए सिवारदस्स ........ कहा तेयासीइमी भाव ओ तविहाणाम्म नागकेउणो ...... कहा चउरासीइमी ..... संसारस्स असारयाए वरदत्तस्स .. कहा पंचासीइयमी देवगुरूणं उवासणाए कद्दिसडस्स कहा छासीइमी जीवदयं कणंतीए जिणच्चणपराए जिणदासीए ...................... कहा सगसीइयमी सिसिद्धायतित्थपहार्वाम्म सुरनरिंदस्स ................... कहा अट्ठासीयमी चारितविराहणदोसम्मि खुल्लगस्स कहा एगणनउइयमी .. पराववार्यावहाणम्मि लोइयतावसीए कहा नउइयमी 'सढं पइ सढत्तणं समायरेज' इह सुगस्स कहा एगणउइयमी सासणस्स पहावणाए कट्ठमुणिणो .. कहा बाणउइयमी अइलोहम्मि सागरसेटुिणो ...... कहा तिनउइयमी .. भावधम्मम्मि कुम्मापुत्तस्स ........... कहा चउनउइयमी. परुवयारम्मि परदुक्खभंजवक्कमक्कनरिंदस्स ....... कहा पंचाणउइयमी ... ..........112 धणलुद्धस्स धुत्तस्स ........................ कहा छण्णउइयमी ...........114 थोवेण निमित्तेण बुज्झमाणसणंतकुमारक्किणो ............ कहा सत्ताणउइयमी 43 भावणाविसुद्धीए-मरुदेवाए सिरिउसहजिणीसरजणणी कहा अट्ठाणउइयमी .. 44 रजलोहण पत्ताणं. पि विडंबणाविहायगस्स कणयकउनरिंदस्स कहा नवनउइयमी .................. तामसीविज्जागहणम्मि विउसमाहणस्स कहा सयइमी पमायपसत्तस्स खुड्डगमुणिणो कहा एगूत्तरसयइमी. ................ सम्मत्तपढमलक्खणउवसमभावे दमसारिसिणो ........ कहा दुरुत्तरसयइमी अप्पं पि निमित्तं पप्प कोवकारगविउसमाहणस्स कहा तिउत्तरसययमी. सम्मईसणपहावम्मि सुलसासाविगाए ............ ........... कहा चउरुत्तरसयइमी संजविराहणपसंगे “देहविसज्जणं अणुण्णायं" इह मुणिवरदुगस्स ....... कहा पंचाहियसयइमी. ___"संजविसुद्धीए सइ अपमत्तभावो कायव्वा" इह सयंभुदत्तसाहुणो ........ कहा छउत्तरसयइमी.... खमणाए विसुद्धमणसा सव्वे खमावंतो खमणापरी जीवा केवलनाणं पावेइ इह चंडरुद्दारियस्स .............. .................. कहा सत्तुत्तरसयइमी लच्छी-सरस्सईदेवीणं संवायम्मि .. कहा अट्टत्तरस .....153 श्लोकानामकारादिक्रमेण सूचिः. 55 सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण).. ...............185 56 सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमण)................ ...............207 .....125 ........... ..151 दाग m ....181
SR No.004269
Book TitlePaiavinnankaha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKastursuri, Somchandrasuri
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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