________________ 122 पाइअविनाणकहा-२ anp DID खमावेइ / एवं मंतिमुणी बहुकालं भूमीए विहरित्ता चउद्दसपुव्वधरो होऊणं कमेण घाइकम्मक्खएणं केवलनाणं आसज्ज मुत्तिपयं पावित्था / इत्थं पिया' रज्जलोहेण पुत्ताणं पि विडंबणं विहेइ त्ति पिउणो वि सिणेहो कारिमो' वियाणियव्वो त्ति / उवएसो इहयं पिउस्स नेहं, नाऊणं कारिमं तुमे भविया ! / तह उजमेह जेणं, इहपरलोए सया सोक्खं / / 4 / / रजलोहेण पुत्ताणं पि विडंबणाकारग-कणयकेउनरिंदस्स नवनउइयमी कहा समत्ता / / 99 / / -उवएसमालाए 1. पिता / / 2. कृत्रिमः / / /