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________________ सीलवईए कहा-७ 27 नरिंदेण सो वहाइ आइट्ठो / वहत्थंभे सो नीओ ! मरणकाले तत्थ मरणं विणा पत्थणातियं किज्जइ, पत्थणातिगं पूरिऊण वहिज्जइ, एवं नयिमो निवेण कओ अस्थि / टा सो कुंभारो वि पुच्छिज्जइ तए पत्थणातिगे किं जाइज्जइ ?, तेण उत्तं-“अहं नरिंदस्स समीवे मग्गिस्सामि / सो तत्थ नीओ / ____ नरिंदेण पत्थणातिगं मग्ग त्ति कहिअंसो कहेइ-‘एगं तु मज्झ गेहे अहुणा कुडुंबभोयणत्थं पन्नरलक्खरूप्पगाई पेसेह / बीअं तु जे जणा बंदीकया ते सव्वे मोएह / निवेण सव्वं कयं / तइअपत्थणावसरे तेण'सहामज्झत्थिअनरिंदपमुहसव्वजणाणं एएण लगुडेण पहारतिगकरणाय आएसो मग्गिओ' / रण्णा चिंतिअं-अहं किं करोमि ?, एसो थूलो, दंडोवि थूलो, एगेण पहारेण अहं मरिस्सामि तओ 'अजुत्तो एसो आएसो' इअ चिंतित्ता वंदणाएसो निक्कासिओ, उवरिं दाणमहिअं तस्स अप्पित्ता तस्स बुद्धीए संतुटेण निवेण समाणं गिहे मोइओ / एवं अविआरिओ आएसो कयावि अप्पवहाइ होइ / उवएसो अवियारिअकज्जस्स, पासित्ता अप्पियं फलं / कयाई न तहा कुज्जा, जइ तुम्हे सुहेच्छवो / / 2 / / अवियारिआएसे नरिंदस्स छट्ठी कहा सभत्ता / / 6 / / - जणमुहपरंपराओ सत्तमी सीलवईए कहा कालो गओ जो धम्ममि, सो णेओ सहलो चिअ / निष्फलो सयलो सेसो, वहू एत्थ निदसणं / / 1 / / कम्मि वि नयरे लच्छीदासो नाम सेट्ठी वरीवट्टइ / सो बहुधणसंपत्तीए गविट्ठो आसि ? भोगविलासेसु एव लग्गो कयावि धम्मं न कुणेइ / तस्स पुत्तो वि एया अस्थि / जोव्वणे पिउणा धम्मिअस्स धम्मदासस्स जहत्थनामाए सीलवईए कन्नाए सह पाणिगहणं पुत्तस्स कारावियं / सा कन्ना जया अट्ठवासा जाया, तया तीए पिउपेरणाए साहुणीसगासाओ जिणीसरधम्मसवणेण सम्मत्तं अणुव्वयाइं च गहीयाई, जिणधम्मे अईव निउणा संजाया / जया सा ससुरगेहे आगया, तया ससुराइं धम्माओ विमुहं दट्ठण तीए बहुदुहं संजायं / कहं मम नियवयस्स निव्वाहो होज्जा ?, कहं वा देवगुरुविमुहाणं ससुराईणं धम्मोवएसो भवेज्जा, एवं सा वियारेइ /
SR No.004268
Book TitlePaiavinnankaha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKastursuri, Somchandrasuri
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2005
Total Pages224
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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