________________ 45 पणयालीसइमी सुहासिसाइ उवरिं सेट्ठिणो कहा - - - - - - - - - - - अणुग्गहीयलोगस्स, फलंतीह सुहासिसा / अपुत्तस्स जहा पुत्तो, हवित्था सेट्ठिणो तहा / / 1 / / एगंमि नयरे सिरिमंतो दाणसीलो को वि सेट्ठिवरो आसि, तस्स भज्जा लच्छि व्व जहत्थनामा लच्छीमई नाम। दुण्हं पि परुप्परं नेहवंताणं सुहेण कालो गच्छइ / सव्वओ सुहियाणं पि ताणं एगं चिय दुहं अत्थि, जं पुत्तस्स अभावो / पोढवयपत्ताणं पि पुत्तो न सिया / जस्स घरंगणंमि धूलिधूसरिअंगो अंगओ न कीलेइ, तस्स पत्ताऐ विच्छिण्णाए लच्छीए किं ? / एगया भज्जाए गुरुमुहाओ सुअं-'वित्तस्स सारया दाणे, भोगा दाणेण होइरे' इइ सोच्चा गिहे आगंतूण नियभत्तुणो दीणदुहियअणाहाईणं दाणटुं कहियं / तया सो सेट्ठी पञ्चूसाओ आरब्भ