________________ 74 पाइअविनाणकहा-१ भणेह 'अम्हे तुह पावं विभइस्सामों ' त्ति, एवं तेण वुत्ता लद्धनिण्णया तुहिक्का ठिआ सयणा / जीवहिंसाओ विरओ सो सुलसकुमारो अभयकुमारेण भगवओ महावीरस्स समीवे सावगधम्मं गाहिओ / विहिणा सम्मं तं पालिऊण देवलोगं पत्तो / / उवएसो अञ्चंतासुहकम्मस्स, फलमेत्थ परत्थ य / जाणित्ता 'हियमिच्छंतो विरमेसु तुमं तओ' / / 2 / / तिव्वपावोदए कालसोअरिअस्स तीसइमी कहा समत्ता / / 30 / / -धम्मरयणपयरणे