________________ 84 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [ गाथा-२५ भवनपतिके प्रत्येक निकायकी भवनसंख्याका यंत्र / 36 लाख : . क्रम निकायके नाम , | दक्षिणश्रेणी संख्या | उत्तरश्रेणी संख्यां / 1 असुरकुमार निकाय 34 लाख 30 लाख , 2. नाग , , 44 लाख 40 लाख 3. सुवर्ण ,, , 38 लाख 34 लाख 4. विद्युत् ,, , 40 लाख 5. अग्नि ,, , 40 लाख 36 लाख 6. द्वीप , 40 लाख 36 लाख 7. उदधि ,, ,, 40 लाख 36 लाख 40 लाख 36 लाख 9. वायु , , 50 लाख 46 लाख 10. स्तनित ,, 40 लाख 36 लाख 406 लाख 366 लाख . अवतरण-दक्षिण-उत्तरदिशाके दसों निकायोंके भवनोंकी कुल संख्या कहते हैं; चत्तारि य कोडीओ, लक्खा छच्चेव दाहिणे भवणा / तिण्णेव य कोडीओ, लक्खा छावहि उत्तरओ // 25 // . [प्र. गा. सं. 3] गाथार्थ-विशेषार्थके अनुसार // 25 // ... विशेषार्थ-पूर्व गाथामें दक्षिण-उत्तर भवनोंकी कुल संख्या बतलाई परन्तु दक्षिण विभागकी कुल संख्या कितनी ? और उत्तर विभागकी कितनी ? यह अलग-अलग नहीं बताया, इसके लिए कहते हैं कि-दक्षिण विभागके दसों निकायोंके मिलकर कुल चार करोड़ और छः लाख भवन होते हैं / और उत्तर-विभागके दसों निकायोंके भवनोंकी कुल जोड करें तो तीन करोड़ और छियासठ लाखका होता है / चार करोड़ और छः लाख तथा तीन करोड़ और छियासठ लाख इन दोनोंका जोड करनेसे सात करोड़ और बहत्तर लाखकी भवन संख्या बराबर हो जाती है / [4,06,00000+3,66,00000 = 7,72,00000 ]