________________ * आभ्यंतर निवृत्तिरुप पांचों इन्द्रियों के स्थानप्रमाण आकारादि . . 253 . 3. आकार- स्पर्शेन्द्रियका आकार, जीवित देहोंका जैसा जैसा आकार हो वैसा वैसा समझना। रसनेन्द्रियका अस्त्र या खुरपा जैसा। प्राण (नासिका) इन्द्रियका अतिमुक्त नामके पुष्प या काहल नामके वाद्य जैसा। नेत्र इन्द्रियका मसूरकी दाल जैसा गोल और श्रोत्रेन्द्रियका कदंब पुष्पके जैसा है। 4. इन्द्रियाँके विषय- स्पर्श, रस-स्वाद, गंध, वर्ण-रंग और शब्द। ये स्पर्शादि एक एक इन्द्रियों के उत्तरोत्तर विषय हैं। सारांश तात्त्विक रीतसे सोचें तो ये विषय एक दूसरेसे सर्वथा भिन्न नहीं हैं और मूलद्रव्यरूपमें नहीं हैं। एक ही द्रव्यके या पदार्थके ही अलग अलग अंश हैं और इस कारणसे इन विषयोंका अलग अलग स्थान भी नहीं है। इन सबका उनके अंशोंमें सहअस्तित्त्व होता ही है / क्योंकि एक ही पदार्थके ये सब अविभाज्य अंग हैं / फिर भी इसकी भिन्नता या अवस्थाएँ इन्द्रियों द्वारा समझमें आ सकती हैं। ___अगर कोई शंका करे कि प्रत्येक पदार्थमें तमाम विषय होते हैं, तो स्पर्शेन्द्रियसे सबका ज्ञान क्यों नहीं होता है इसका उत्तर यह है कि क्षायोपशमिकभावसे वर्तित इन्द्रिय-ज्ञाम हमेशा मर्यादित होता है / अतः जिस समय जितने विषय उत्कट हों उतनोंका बोध इन्द्रिय कर सकती हैं। मगर अनुत्कट विषयोंका नहीं कर सकतीं। और यह बोध होनेमें भी इन्द्रियोंकी पूर्णता, पटुता, शक्ति इन पर भी आधार रहता है / अन्यथा अमुक अमुक लब्धियाँ ऐसी हैं कि अगर वे प्राप्त हों तो एक ही इन्द्रियसे पांचों विषयोंका बोध ग्रहण किया जा सकता है। यह शास्त्रीय कथन उपरोक्त बातका समर्थन करता है। इतनी भूमिका समझाकर उन उन इन्द्रियोंके विषयोंको समझें / / . स्पर्शन इन्द्रियकी विषय मूर्त ऐसे पौद्गलिक पदार्थमें रहे स्निग्ध-रूक्ष, शीत-उष्ण, मृदु-कर्कश, भारी-हलके इन आठ प्रकारके स्पशौंको बतानेका है। रसनाका विषय मूर्त पदार्थमें रहे तीखे, कडुए, मधुर ( मीठा ), खट्टे और खारे इन पांचों प्रकारके रसोंस्वादोंको बतानेका है / घ्राण इन्द्रियका विषय सुगंध या दुर्गध बतानेका ‘और आँख इन्द्रियका विषय मूर्त पदार्थोंमें रहे काले, भूरे (या हरे), पीले, लाल, सफेद इन पांच प्रकारके रंगों या वर्गों को बतानेका है। कर्णेन्द्रियका विषय सचित्त ( सजीव वस्तुमेंसे निकला, जैसेकि घोडेकी आवाज), अचित्त (वह पत्थरादि अजीव द्रव्योंमेंसे निकलता, जैसेकि यंत्रोंकी आवाज) और मिश्र (वह जीव - अजीव दोनोंके सहयोगसे निकलता, जैसेकि-बंसी वादन) प्रकारके शब्दोंको सुननेका है। पांच इन्द्रियोंके कुल विषय 23 हैं।