SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 580
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ // चारों गतिभाश्रयी वेद-योनि-कुलकोटी संख्या तथा योनिमेदों और प्रकारोंका यन्त्र // चतुर्गति भेद | वेद योनिसं० कुलकोटी | योनि भेद | योनिस्पर्शत्व नपुंसक | 7 लाख 12 लाख संवत | शीत-उष्ण-शीतोष्ण . AA 7 लाख 3 लाख पृथ्वीकाय अपकाय तेउकाय वायुकाय सावनस्पति बा. प्रत्येक० . उष्ण शीत-उष्ण-शीतोष्ण | 7 लाख 14 लाख २८लाख लाख Naam | दोइन्द्रिय " IN 7 लाख 8 लाख त्रिइन्द्रिय | चउरिन्द्रिय , | 9 लाख . 4 tra . 444 12 // लाख 10 लाख 10 लाख 18 लाख संवृत-विवृत | संमू० जलचर संमू० चतुष्पद संमू० उरपरि० संमू० भुजपरि० संमू० खेचर ग० जलचर ग. चतुष्पद ग० उरपरि० | ग. भुजपरि० ग० खेचर स्त्री-पुं.न तीनों वेद| अ. अ 12|| लाख | 10 लाख | 10 लाख | 9 लाख 12 लाख 4 ख 4 *देव स्त्री०पुं०२/४ लाख | 26 लाख | नपुंसक | , | 25 लाख | * नारक , शीत-उष्ण : मनुष्य ग. मनध्य " तीनों वेद विवृत | शीत-उष्ण-शीतोष्ण १४ला०१२ लाखा विवृत-संवृत " : शीतोष्ण
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy