________________ 2.180 . * भी एहतूसंग्रहणीरल-हिन्दी भाषांतर * बंधकालकी है। प्रस्तुत भवके अंदर परभवके आयुष्यका बंध चारों गति से किन जीवोंका किस समय हो ! यह बात यह युग्म-दोनों गाथामें कहते हैं / ... बंधकाल विषयक थोड़ी दूसरी हकीकत समझ लेनी जरूरी है। वह यह कि अभ्यासीको एक सिद्धान्त समझ लेना कि, किसी भी जीवात्माका परभवमें उत्पन्न होनेके भाविस्थानका सर्वागी निर्णय उसके वर्तमानभवमें ही निश्चित होता है। और वह निर्णय होनेके बाद ही वर्तमान देह-चोला छोडता है। जब तक यह निश्चय न हुआ हो तब तक कोई भी शक्ति नहीं है कि इस देहमेंसे निकल सके / क्योंकि जैन सिद्धांत के अनुसार जीव (मुक्ति न हो तब तक ) सूक्ष्म शरीरधारी तो हमेशा रहता ही है, लेकिन स्थूल शरीरधारी भी हमेशा होता है, मात्र तफावत इतना कि एक भवमेंसे दूसरे भवमें जाते उत्पन्न होनेका स्थान सीधा न हो तो ज्यादासे ज्यादा पांच समय स्थूलदेहके बिना रहता है। अन्यथा किसी न किसी गति-योनि योग्य शरीरको पा ही लेता है। और उसे पानेके लिए उसे पूर्वभवमें ही निर्णय करना पड़ता है। शरीर यह तो जीवने कर्मराजासे लिया भाडेका घर है / उसकी मुद्दत पूरी होने पर खाली कर देना है लेकिन उसके पहले पुराना घर बदलकर नये घरमें जाना है, उस घरकी निश्चितता अगाऊसे कर ही लेता है, जिससे एक देह छोडनेके बाद तुरंत ही दूसरी देहमें जीव प्रवेश कर देता हैं। यहाँ जीवोंका बन्धकाल तीन प्रकारका है। 1. छः मास शेष रहे तव, २.अवश्य तीसरा भाग शेष रहे तव और 3. तीसरे त.सरे भागसे / / गाथामें निरुवकम=निरुपक्रम और सोवक्कम-सोपक्रम शब्द प्रयुक्त किया है। उसका अर्थ संक्षिप्तमें गत गाथामें ही आ गया है / विस्तृत अर्थ आगे कहेंगे / यहाँ उसका संक्षिप्त अर्थ ऐसा है कि, निर्गतानि उपक्रमाणि यस्मात्-इति निरुपक्रमम् / जो आयुष्य उपक्रमोंका निमित्त बननेका नहीं है वह निरुपक्रम आयुष्य / जिसे गत गाथामें 'अनपवर्तन' शब्द द्वारा कहा गया है। दोनों एकार्थक वाचक है और उपक्रमैः सह वर्तमानमायु: तत् सोपक्रमम् / अर्थात् उपक्रमोंके आघात-प्रत्याघातका भोग होनेवाला वह। जिसे गत गाथामें 'अपवर्तन' शब्द कहा गया है / कतिपय गति और स्थानो ही ऐसे हैं कि, जहाँ उत्पन्न होनेवाले जीवका आयुष्य निरुपक्रमी अथवा अनपवर्तनीय ही होता है। ऐसे जीव कौनसे ! तो देवगतिमें उत्पन्न होने 477. कुछ धर्मवाले मृत्युके बाद आत्मा आकाशमें ऊँची रहती है, अमुक समय देह रहित रहता है आदि कथन करते हैं, लेकिन वह जनदर्शनसंमत नहीं है /