________________ * तिर्यच जीवोंकी संक्षिप्त पहचान .. बान्द्र स्थावर-एक अथवा असंख्य-बहुत एकत्र हों तब चर्मचक्षुसे देखा जाए वह बादर कहलाता है। बादर स्थावर प्रत्येक भेद सहित पृथिव्यादि छः प्रकारसे है। प्रथम बादर पृथ्वीकायमें-पृथ्वीके दो भेद हैं। एक कोमल और दूसरा कर्कश। उनमें कोमल पृथ्वी सात रंगवाली होनेसे सात भेदवाली है। काली, हरी, पीली, लाल, श्वेत, पांडु आदि रंगकी। नचादिकके पानीकी बाढ उतरनेसे अत्यन्त भापवाले प्रदेशकी कोमल-चीकनी-पंकरूप माटी वह कोमल पृथ्वी, जबकि कर्कश पृथ्वी चालीस भेदवाली है। उनमें 18 भेद स्फटिक, नीलम, चंदन, वैडूर्यादि मणिरत्नोंके और शेष 22 भेद, नदी तटकी माटी, बडी-सूक्ष्म रेती (रेत), छोटे पत्थर, बडी शिलाएँ, उस, लवण, सुवर्ण, सोना, चांदी, सीसा, तांबा, लोह, जसत, वज्र [सप्त धातुए], हरताल, हिंगुल, मनशील, प्रवाल, पारद, सौवीर, अंजन, अभ्रक पड, अभ्रक मिश्रित रेत आदिके हैं। ये सर्व वस्तुए प्रथम सजीवरूपमें होती हैं। परंतु उत्पत्तिस्थानसे अलग होने के बाद अग्नि आदि के संयोगसे तथा हस्तपादादि साधनोंसे मर्दन होनेसे निर्जीव बनती हैं। फिर उन पदार्थों में हानि होती है लेकिन वृद्धि नहीं होती। बादर अपकाय-बरसात का शुद्ध जल, स्वाभाविक हिम, बर्फ, ओले, ओस, कुहरा, घनोदधि, ओसकण, कुआँ, समुद्र आदि सर्व प्रकारका जल वह / बादर तेउकाय-चालू शुद्ध अग्नि, वज्रकी अग्नि, ज्वालाका, स्फुलिंग का अंगार, विद्युत, उल्कापात, चिनगारियाँ, कणकी, सूर्यकान्तमणिकी, उपलादिककी, काष्ठ-कोयले आदि सर्व जातिकी अग्नि वह / बादर पाउकाय-दिशावर्ती-ऊर्ध्व-अधो-तिर्यक् वायु, झंझावातका, गुंजार करता, गोलाकारमें घूमता घनवात, तनुवात आदि अनेक भेदोंमें / . बादर वनस्पतिकाय-वह प्रत्येक और बादर साधारण। उसमें एक शरीर में एक ही जीववाली वह प्रत्येक, वृक्षके फल, फूल, त्वचा, काष्ठ, मूल, पत्र, बीज आदिमें एक एक जीव है। अत: वह प्रत्येक के प्रकार में गिना जाता है। साथ ही सारे वृक्षका सर्वव्यापी अन्य एक. स्वतंत्र जीव अलग होता है। वह प्रत्येक वनस्पतिके वृक्ष-गुच्छादिक जातिसे 12 भेद हैं। अतः आगे ही कहे जाते साधारण वनस्पतिके भेद को वर्ण्य शेष धान्य, अनेकविध पुष्पकी जातियों के पुष्प-फल, पत्र-लताएँ-कमल, शाकादिक द्रव्योंवाले सर्व प्रकारके वृक्ष इन्हें बादर प्रत्येक वनस्पतिमें सोच लेना। बादर साधारण वनस्पतिकाय-इन बादर साधारण वनस्पतिके जीवोंकी उत्पत्ति, तत्पश्चात् आहार, श्वासोच्छ्वास ग्रहण आदि क्रियाएँ सर्व एक साथ ही होती हैं। यह अनंतकायस्वरूप बादर वनस्पति अनेक भेदोंमें है। कंद, [अदरक, आलू, लहसुन, प्याज तमाम प्रकारके कंदकी जातें / ] पाँचों रंगकी फुनगी, काई, बिलारी के छाते के आकारके टोप, अदरक, हरी हलदी, गाजर, मोथ, थेग, पालक, कोमल फल, थुहर, गुग्गुल, गिलोय, सिंघाडे आदि प्रसिद्ध बत्तीस अनंतकायादि सर्व प्रकारसे अपने घटित लक्षणोंवाली जो जो हों उन्हें समझ ले।