________________ कर्कसंक्रान्तिके प्रथम दिन पर सूर्योदय-सूर्यास्तका अन्तर ] गाथा-११८-१२० [ 207 - - विविध वर्णवाले और ऊपर जो पंचवर्ण कहे उन वर्णोंवाले तथा अन्य वर्णोंवाले भी समझना। [ 117] ___ अवतरण-पहले चारों निकायोंके विमानोंका वर्ण कहकर अब वैमानिक निकायके प्रत्येक देवलोकके विमानोंकी लम्बाई, चौडाई तथा अभ्यन्तर और बाह्य परिधिको किस गतिसे चलनेसे माप सकते ? इसे दिखानेको निमित्तभूत प्रथम कर्क संक्रान्तिके दिन पर वर्तित उदयास्तका अंतर बताया जाता है। रविणो उदयत्थंतर, चउणवइसहस्स पणसय छवीसा / वायाल सट्ठिभागा, कक्कडसंकंति दियहम्मि // 118 / / गाथार्थ-विशेषार्थवत् / // 118 // विशेषार्थ-कर्क संक्रान्तिके दिन ( अर्थात् सर्वाभ्यन्तर मण्डलमें सूर्य हो तब) सूर्यके उदयस्थान और अस्तस्थानके बिचका अन्तर 94526 यो० और एक योजनके साठवें भागमेंसे 42 भाग प्रमाण होता है / (94526 42 योजन) हम जिस सूर्यको देखते हैं वह तो 47263 यो० 2 भाग प्रमाण दूरसे देखते हैं। कहा है कि . सीआलीस सहस्सा दो य सया जोअणाण तेवट्ठा / ___ इगवीस सट्ठिभागा कक्कड माइंमि पिच्छ नरा // उसमें कारण यह है कि-उदय और अस्तके मध्यभागमें अपना क्षेत्र आया है। [118 ] अवतरण-अब उस उक्त प्रमाणको तीन-पांच-सात-नौ गुना करनेसे कितना हो यह बतानेके लिए प्रथम त्रिगुण तथा पंचगुण प्रमाण दिखाती दो गाथाएँ कहते हैं / एयम्मि पुणो गुणिए, ति-पंच-सग-नवहिं होइ कममाणं / .. तिगुणम्मी दो लक्खा, तेसीई सहस्स पंचसया // 119 // असिइ छ सट्ठिभागा, जोयण चउलक्ख विसत्तरिसहस्सा / छच्चसया तेत्तीसा, तीसकला . पंचगुणियम्मि / / 120 / / गाथार्थ-पहले उदयास्तका 94526 यो० 43 भाग प्रमाण जो कहा उसे तीन गुना, पंचगुना, सातगुना और नवगुना करनेसे वह, वह प्रमाण आता है। उसमें उदयास्त प्रमाणको तीन गुना करनेसे 2,83,580 यो० % भाग प्रमाण आता है और पंचगुना . करें तो 472633 यो० 30 भाग प्रमाण आता है / // 119-120 // विशेषार्थ-वह इस तरहबृ. में, 38 .