________________ इष्ट प्रतरमें त्रिकोणादि संख्याके उपाय ] गाथा 109-110 [ 289 . om . . ९-नौ ग्रैधेयक कल्पमें। c & am 6 m s c Naw cxc - अनुत्तर कल्पमें | 1 | 1 | 4 | 0 | 13 | 5 | 62 | कुल 5 * 4-0-1-5 एक ही दिशाके एकको चारसे गुना करके 1 इन्द्रक मिलानेसे पांच होते हैं / ___ इति इष्टप्रतरसंख्या / ता. क. प्रत्येक प्रतरमें पुष्पावकीर्ण विमानसंख्या जाननेका करण ग्रन्थकारने नहीं | कुल 54 * 84-72-69-225 / बताया है, क्योंकि वर्तमानमें उपलब्ध - देखनेमें नहीं आता / 54 की कुल संख्याको चारसे गुना करके द 9 इन्द्रक जोडनेसे 225 आवे / 2. इष्ट प्रतरमें त्रिकोणादि संख्याके उपाय अब यहाँ गाथानुसार प्रत्येक कल्पस्थानाश्रयी त्रिकोणादि विमानसंख्या जाननेका उपाय कहते हैं। सौधर्म-ईशान युगलके तेरहों प्रतरमध्यमें प्रत्येक प्रतरमें एक ही दिशावर्ती रही उस उस विमानसंख्याको त्रिभागमें बाँट देना, जिससे त्रिकोण चौ० / प्रथम प्रतरमें 62 विमान हैं जिससे दूसरे प्रतरमें तीसरे , " " चौथे " 777 पाँचवें छठे सातवें आठवें नवें दसवें , ग्यारहवें , बारहवें , तेरहवें , 50 बृ. सं. 37 16 2