________________ समन निकायकी विमान संख्या ] गाथा-१०८ [ 283 समय निका०नि०श्रयी | नि० | नि०आश्रयी नि० | नि०आश्रयी | नि०माश्रयी| समग्र वे० 249 . 5 254 12762 7884 8489149 8497023 मुख भूमि समास अर्ध प्रतर आव०गत पुष्पा० निकायकुल संख्या संख्या संख्या संख्या संख्या संख्या संख्या संख्या जिस देवलोकमें 'मुख' संख्या | इस तरह जिस देवलोकमें 'भूमि' निकालनी हो, उस देवलोकके नीचेके समग्र | संख्या निकालनी हो वह एक ही देवलोकमें देवलोकवी जितनी प्रतर संख्या प्राप्त होती | जो प्रतरसंख्या हो उसमेंसे एक कम करनेसे हो उस सारी संख्याको चारसे २७५गुना | गाको चासे २७५गना | जो संख्या रहे उसे चारसे गुना करें, ऐसा करनेसे जो संख्या प्राप्त हो उसे प्रथम | करनेसे जो संख्या आवे वह संख्या उस प्रतरकी-२४९ मुखसंख्यामेंसे कम करनेसे जो | देवलोककी 'मुख' संख्यामेंसे कम कर दें संख्या अवशिष्ट रहे, वह संख्या उस उस | जिससे उस कल्पकी 'भूमि' संख्या प्राप्त देवलोककी 'मुख' संख्या कही जाए। | होगी / * वैमानिकनिकायमें 27 मुखसंख्या * | * वैमानिकनिकायमें 27 भूमिसंख्या * - सौधर्म-ईशान युगलके प्रथम प्रतरमें प्र० सं० मुख संख्या 249 है / | सौधर्म ईशानमें-१३-१=१२४४-४८-२४९ मु. प्र० सं० 48 सनत्कु० माहेन्द्रयु०-१३ x 4 = 52 - 249 52 सनत्कु०माहेन्द्रमें-१२-१=११४४४४-१९७ 197 मु.सं. 44 ब्रह्मकल्पमें पहुँचते-२५४४ =100 - 249 153 भू. 100 | ब्रह्मदेवलोकमें-६-१ = 54 4 = 20--149 149 मु. 201 भू. 20 129 भू. 275. उ-सगपयरा रुबुगा, चउगुणिया सोहयां समुहाओ / जं तत्थसुद्धसेसं, इच्छियकप्पस्स सा. भूमि // 1 // 276. दोणिसय अउणपण्णा, सत्ताणउयं सयं च बोद्धव्वं / अउणापण्णं च सयं सयमेगं पण्णुवीसं च // 1 // पंचुत्तरसयमेगं, अउगागडईयअहोई बोधव्वा / तेवत्तरि सगवण्णा, ईयालीसा य हेट्ठिमए // 2 / / अउणतीसा य भवे, सत्तरस य पंच चेव आदीओ / कप्पेसु पत्थडाण-॥ 277. एगहिया दोण्णिसया, तेवण्णसयं सयं च उगतीसं / तत्तो नवाहियसयं, तिणवइ सत्तत्तरी चेव // 1 // एगट्टी पणयाला, तेत्तीसा एकवीस नव चेव / कप्पेसु पत्थडाणं, भूमीओ होति णायचा // 2 // -[ देवे० नर० प्रक० गा० 156-57-58; 160-61 ]