________________ 270 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [गाथा-९१ पदा, रेवती, अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा / इसी तरह ग्रहोंके 2. नाम-अंगारक, विकालक, २“लोहित्यक, शनैश्वर, आधुनिक, प्राधुनिक, कण, कणक, कणकणक, कणवितानक, कणसंतानक, सोम, सहित, आश्वासेन, कार्योपग, कर्बुटक, अजकरक, दुंदुभक, शंख, शंखनाभ, शंखवर्णाभ, कंस, कंसनाभ, कंसवर्णाभ, नील, नीलावभास, रूप्पी, रूप्यवभास, भस्म, भस्मकराशि, तिल, तिलपुष्पवर्ण, दक, दकवर्ण, काय, वंध्य, इन्द्राग्नि, धूमकेतु, हरि, पिंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति, राहु, अगस्ति, माणवक, कामस्पर्श, धुर, प्रमुख, विकट, विसंधिकल्प, प्रकल्प, जटाल, अरुण, अग्नि, काल, महाकाल, स्वस्तिक, सौवत्सिक, वर्धमानक, प्रलंबक, नित्यालोक, नित्योद्योत, स्वयंप्रभ, अवभास, श्रेयस्कर, खेमंकर, आभंकर, प्रभंकर, अरजा, विरजा, अशोक, वीतशोक, विमल, विवर्त, विवत्स, विशाल, शाल, सुव्रत, अनिवृत्ति, अकजटी, द्विजटी, करिक, कर, राजार्गल, पुष्पकेतु और भावकेतु इस तरह अठासी ग्रह हैं। [91 ) // इति प्रस्तुतभवनद्वारे तृतीय ज्योतिषीनिकायवर्णनम् // 268. इंगालए बियालये लोहियके सणिच्छरे चेव / आहुणिए पाहुणिए कणगसनामावि पं.चे व // 1 // सोमे सहिए अस्सामणे य कज्जोवयणे य कव्वरण / अयकरदुंदुभए वि य संखंसनामावि तिन्नेब // 2 // तिन्नेव कंसनामा नीले रूप्पी य हुंति चत्तारि / भासा तिल पुष्फवण्णे दगवण्णे कालबंधे य // 3 // 'दग्गी धूमकेउ हरि पिंगलए बुधे य सुक्के य / वहसइ राहु अगत्थी माणवए कामफासे य // 4 // धुरए पमुहे वियडे विसंधिकप्पे तहा पइल्ले य / जडिया लएण अरुणे अग्गिलकाले महाकालेया // 5 / / सोत्थि य सोवत्थियए वद्धमाणग तहा पलंबे य / णिच्चालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव ओभासे // 6 // सेयंकर खेमंकर आभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा असोग तह वीअसोगे य॥७॥ विमले विततविवत्थे विसाल तह साल सुव्वए चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बियही य बोद्धव्वे // 8 // कर करिएरायग्गल बोद्धव्वे पुफ्फभावकेऊ य / अठासीइ गहा खलु नायव्वा आणुपुत्वीए // 9 // ‘विमले' यह नाम सूर्यप्रज्ञप्तिकी मूल टीकामें नहीं है अतः पाठांतर सम्भवित है / 260.. लोहिताक्ष-लोहितांक /