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________________ चन्द्रमण्डलकी अन्तर निकालनेकी रीत ] गाथा 86-90 [ 261 प्रत्येक मण्डलका अन्तर प्रमाण लानेके लिए१४) 30318 (2165 भाग = 21654 भाग आये, 28 023 84 078 08 प्रतिभाग 04 प्रतिभाग योजन निकालनेके लिए६१) 2165 (35 योजन 183 35 योजन 32 भाग प्रमाण 0335 ___305 यो० भाग जवाब आया 30 35-3, 4 भाग ( 35 यो० 304) अन्तर प्रमाण प्राप्ति-अन्य रीतिसे प्रथम 15 मण्डलका कुल विस्तार निकालनेके लिए-एक मण्डलका इकसठवें 56 भागका विस्तार तो 15 मण्डलका कितना? त्रिराशि करनेसे जवाब (योजन निकालने पूर्वक) 13 यो०४४ भाग आवे, उसे पूर्व कहे गए 510 यो०४८ योजन समस्त मण्डलक्षेत्रके विस्तारमेंसे कम करनेसे 4973 यो० चौदह आंतरोंका (मण्डलरहित केवल) कुल विस्तार आता है। अब प्रत्येक मण्डलका विस्तार लानेके लिए 4971 योजनकी संख्याको 14 अन्तरसे बटा करनेसे पूर्ण 35 योजन और 304 इकसठांश भाग आए, वह इस तरहएक मण्डल विस्तारप्रमाण इकसठवें 56 भाग उसे x 15 योजन बनानेको 61) 840 (13 यो० 4 पंद्रह मण्डलक्षेत्र विस्तार 183
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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