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________________ मनुष्यक्षेत्रके बाहर चन्द्रसे चन्द्रका और सूर्यसे सूर्यका अन्तर ] गाथा 66 [139 स्फटिकमय 15 मृगका ही चिह्न बना हुआ है, अतः हम भी उस मृगाकारको देखते हैं / / 65 / / // मनुष्यक्षेत्रके बाहर चन्द्रसे सूर्यका परस्पर तथा बीच-बीचका अन्तर प्रमाण // नाम नाम अन्तरप्रमाण अन्तरप्रमाण चन्द्रसे सूर्यका 50000 यो० चन्द्रसे चन्द्रका | 1 लाख यो०४६ सूर्यसे चन्द्रका / सूर्यसे सूर्यका 1 लाख यो०५६ अवतरण-मनुष्यक्षेत्रके बाहर चन्द्रसे सूर्यका और सूर्यसे चन्द्रका अन्तर बताया, अब चन्द्रसे चन्द्रका अन्तर तथा सूर्यसे सूर्यका अन्तर प्रदर्शित करते हैं। ससि ससि रवि रवि साहिय-जोयणलक्खेण अंतरं होइ / रवि अन्तरिया ससिणो, ससिअन्तरिया रवी दित्ता / / 66 / गाथार्थ-एक चन्द्रसे दूसरे चन्द्रका और एक सूर्यसे दूसरे सूर्यका अन्तर साधिक लक्षयोजन प्रमाण है, चन्द्र सूर्योसे अन्तरित हैं और सूर्य चन्द्रोंसे अन्तरित हैं। // 66 // विशेषार्थ-मनुष्यक्षेत्रके बाहर एक चन्द्रसे दूसरे चन्द्रका परस्पर अन्तर एक लाख योजनसे एक योजनके अडतालीस बटे इकसठवें भाग जितना अधिक है; क्योंकि वहाँ स्थिर ज्योतिषी होनेसे पचास हजार योजन पूर्ण होने पर सूर्यविमान अवश्य होता है, इसलिए उस विमानकी 16 भागकी चौड़ाई अधिक गिननेकी होती है / उसी तरह एक सूर्यसे दूसरे सूर्यका भी परस्पर अन्तर प्रमाण साधिक लक्ष योजन है अर्थात् एक सूर्यसे दूसरे सूर्य तक पहुँचते बीचमें (50000 यो० पूर्ण होने पर पूर्वगाथानुसार ) चन्द्र विमान आता है, तदनन्तर सूर्यविमान आता है, अतः एक सूर्यसे दूसरे चन्द्रके पास ही पहुँचनेमें प्रथम 50000 योजन अन्तर होता है। उस चन्द्रके , भागकी चौड़ाई पार करनेके बाद पुन: 50000 योजन पूर्ण हों तब सूर्यकी उपस्थिति होनेसे एक लाख योजन अधिक 51 योजनका सजातीय अन्तर जानें / // 66 // अवतरण-मनुष्यक्षेत्रके बाहरके चन्द्र तथा सूर्यके स्वरूपका वर्णन करते हैं। 159. यहां एक बात सूचित करना अनुचित नहीं है कि-पूर्णिमाके दिन शामको चन्द्रका उदय होता है तब मृगचिह्न सीधा दिखता है। परन्तु रातके बढ़ते जानेसे मध्य रात्रिको वह चिह्न उलटा होनेसे पिछली सुबहमें पूर्ण उलटा अर्थात् पैर ऊचे और पीठ नीचे दिखता है / इसका क्या कारण ? अतः चन्द्रकी गति कैसे निश्चित करें ? यह बात विचारणीय है।
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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