________________ // भवनपति [तथा प्रासङ्गिक चारों] निकायों में इन्द्र आदि दश प्रकारके देवोंका यन्त्र // 1. इन्द्र 2. सामानिक ३-त्रायस्त्रिशक 4. पार्षद्य 5. आत्मरक्षक ६.लोकपाल 7. अनीक ८.प्रकीर्ण 9. आभियोगिक 10. किल्बिषिक 108 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी ___ असुरकुमारादि 10 निकाय | प्रत्येक इन्द्रके 33 असंख्याता, असख्याता, असंख्याता, सोम, यम, वरुण, कुबेर दक्षिणेन्द्र उत्तरेन्द्र बाह्य मध्यम अभ्यन्तर (प्रत्येकमें असंख्य ) गंधर्व, / / महिष (अथवा वृषभ) असुर० नागकुमारादि नवे नि०में असुरकुमार शेष-नव निकायोंमें नाटय, सुभट, प्रत्येक इन्द्रको 24000 अश्व, | रथ, गज, चमरेन्द्र के बलीन्द्र के चमरेन्द्र के बलीन्द्रके 64,000 60,000 2,56000 24,000 सूचना:-व्यंतर और ज्योतिषी देवोंमें बायस्त्रिशक और लोकपाल देवोंका विभाग नहीं है, ज्योतिषी देवोंको महिष (अथवा वृषभ)के अतिरिक्त छः प्रकारका सैन्य है, वैमानिक देवोंके (अनीक) विभागमें सातवाँ विभाग वृषभका है। [ गाथा 45