________________ उत्तर प्रश्न- 176. निद्धति किसे कहते हैं ? कर्मों को बन्ध करते समय जितना-जितना रस (तीव्रता) अधिक होता है उतना-उतना कर्म का बन्ध गाढ़ होता है / रस के चार विभाग होते हैं। 1. एकठाणिओ रस, 2. दो स्थानिय रस, 3. तीन ठाणिओ रस, 4. चार ठाणिओ रस / शुभ कर्मों में जघन्य से भी दो ठाणिओ रस होता है जबकि अशुभ कर्मों में जघन्य से एकठाणिओ रस भी हो सकता है / दोनों का उत्कृष्ट से 4 स्थानीय रस हो सकता है / आत्मा के साथ कर्मों का बन्ध 4 प्रकार का होता है / 1. स्पृष्ट बन्ध- आत्मा के साथ कर्मस्कन्धों का केवल स्पर्श करके रहना / ऐसे कर्मों को अलग होते देर नहीं लगती / ऐसे कर्मों को * स्पृष्ट बन्ध कहा जाता है। 2. आत्मा के साथ कर्मों की अच्छी तरह चिपक जाना जिसे निकालते थोड़ी मुश्किल होती हैं ऐसे कर्मों को बद्ध बन्ध कहा जाता है / 3. आत्मा के साथ गाढ़ पूर्वक अधिक रस वाले कर्मों का चिपकना निद्धत कहलाता है / 4. निकाचित- आत्मा के साथ कर्मों का एकमेक हो जाना जिसे कोई करण भी न लगे और भोगना ही पड़े उसे निकाचित बन्ध कहते हैं / प्रश्न- 177. इन चार प्रकार के बन्ध को दृष्टान्त से समझाएँ / स्पृष्ट- जैसे लोहे का टुकड़ा हो उसके ऊपर सोयस्पर्श करके रखी हो तो कितना समय लगेगा अलग होने में ? तनिक भी नहीं / इसे कहते हैं स्पृष्ट / उत्तर 224