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________________ 4. नये कपड़े पहनते समय समाचार का आना, भोजन समय अतिथि * का आ जाना यह सब निमित्त मात्र है मुख्य रूप से कर्म ही कारण प्रश्न- 158. अन्तराय कर्म सम्बन्धी अन्य घटनाएँ ओर भी बताएँ ? उत्तर- तप-त्याग करने की भावना होते हुए भी क्यों नहीं कर पाते ? शक्ति क्षीण क्यों हुई ? 1. 50 किलो भार उठाने की क्षमता रखने वाले अब आधा किलो भी वजन नहीं उठा सकते क्यों ? 2. करोड़ों रुपए कमाने वाला व्यापारी भी आज 50 रुपए के लिए लाचारी का अनुभव कर रहा है / क्यों ? 3. 20 गुलाब जामुन खाने की शक्ति रखने वाला युवान आधी रोटी भी नहीं खा सकता ऐसी स्थिति क्यों ? 4. रोज नए-नए डिजाईन के वस्त्र पहनकर घूमने वाला युवान वस्त्र बिना ही भागना पड़ा क्यों ? इन सभी के पीछे कोई कर्म कारण है तो वह है अन्तराय कर्म / प्रश्न- 159. अन्तराय कर्म किस के समान है ? उत्तर- अन्तराय कर्म को भण्डारी की उपमा दी गई है। जैसे राजा भण्डारी को कहें कि तू याचक आदि को दानादि दे देना / परन्तु भण्डारी प्रतिकूल हो तो याचक को कह देता है कि अभी समय नहीं है, कल आना | फिर बहाना बनाकर उसे अन्त में जाकर ना कह देता है इसी प्रकार जीव को दान देने की, वस्तु प्राप्त करने की इच्छा हो परन्तु अन्तराय कर्म कोई ना कोई विघ्न उपस्थित कर देता है जिससे दान देने की वस्तु प्राप्त करने की इच्छा होने पर वस्तु की प्राप्ति नहीं होती / महान कार्य करने की इच्छा हो तो महान कार्य 214
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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