________________ घृणा करने से, हँसी करने से नीचगोत्र कर्म का बन्ध होता है दुर्गंछा करने से पूर्वभव में मेतारज मुनि ने नीचगोत्र कर्म बान्धा था जिसके उदय से उन्हें चाण्डाल कुल में उत्पन्न होना पड़ा / अगर नीच कुल में जन्म न लेना हो तो उपरोक्त बातों पर चिन्तन-मनन करके इन का त्याग कर देना चाहिए / आठवाँ कर्म - अन्तराय कर्म प्रश्न- 156. अन्तराय कर्म किसे कहते हैं ? आत्मा अनन्त शक्ति का स्वामी है / इस अनन्त शक्ति को ढंकने वाला कर्म अन्तराय कर्म कहलाता है। उत्तर प्रश्न-157. अन्तराय कर्म को विशेष रूप से वर्णन करें / उत्तर सुबह से लेकर शाम तक तन-तोड़ मेहनत करने पर भी धनादि का लाभ क्यों नहीं होता ? अन्तराय कर्म ही कारण है / 2. खाने के लिए बढ़िया भोजन बनाया / अचानक बाहर ग्राम से अतिथि आ गए / सारा भोजन उन्हें ही खिलाना पड़ा / स्वयं की इच्छा पूर्ण नहीं हुई ? क्यों ? अन्तराय कर्म ही कारण है। 3. नए डिजाईन के वस्त्र बनाए, पहन कर पिकनिक पर जाने की तैयारी कर ही रहे थे अचानक किसी निकट के सम्बन्धी का मरण समाचार आ गया / नए कपड़े छोड़कर सादे वस्त्र पहनकर जाना पड़ा / इच्छा होने पर भी बढ़िया वस्त्र क्यों नहीं पहने गए ? ऐसा समाचार क्यों मिला ? ऐसे अनेक प्रश्नों के सामने आठवाँ कर्म अन्तराय कर्म ही कारण है। 213