________________ बालिकाओं में चरित्र निर्माण के उद्देश्य से साध्वीश्री प्रगुणाश्रीजी म. सा. की निश्रा में 'श्री आत्म-वल्लभ जैनदर्शन-शिक्षण शिविर का आयोजन होता है जिसमें शिविर संचालिका साध्वीश्री प्रियधर्माश्रीजी म. सा. जैन धर्म के इतिहास, सामान्य तत्त्वज्ञान, जैन भूगोल, कर्म-विज्ञान इत्यादि विषयों को सुगमता से समझाती हैं। इन शिविरों के माध्यम से अनेक बालक जिनधर्म से जुड़े हैं, अनेक महिलाएँ जिन-वचनों से जुड़ी है, जो इन शिविरों की सफलता का द्योतक है। साध्वीजी महाराज ने जहाँ जैन-दर्शन के शिविरों का आयोजन करके महिलाओं में संस्कार डालने का सुन्दरतम कार्य किया, वहाँ बच्चों में धर्म के संस्कार डालने के लिए धार्मिक पाठशालाओं की भी स्थापना करवाई। जैसे श्री आत्म-वल्लभ जैन पाठशाला, शाहदरा, दिल्ली श्री आत्म-वल्लभ जैन पाठशाला, रूपनगर, दिल्ली श्री आत्म-वल्लभ जैन पाठशाला, पट्टी (पंजाब) श्री आत्म-वल्लभ जैन पाठशाला, नवपद सोसायटी, बड़ौदा (गुजरात) . पू. साध्वीजी महाराज के ज्ञानयोग की गम्भीरता की भूरि-भूरि अनुमोदना। भक्तियोग की भव्यता सरल स्वभावी साध्वीश्री जसवन्तश्रीजी म. सा. एवं उनकी सुशिष्याएँ साध्वीश्री प्रगुणाश्रीजी, साध्वीश्री प्रियधर्माश्रीजी आदि सदा से जिनेश्वर परमात्मा के प्रति अनुरक्त रही हैं। मोक्षदायक ऐसी प्रभु से प्रीति होती है। स्तोत्रों, स्तवनों आदि साधनों से इष्ट जिनेश्वरदेव की साधना-भक्ति साध्वीजी करती ही हैं। तथापि श्रावक-श्राविका वर्ग को जिन-जिनप्रतिमा-जिनमन्दिर से जोड़कर शासन की उत्कृष्ट धर्म-प्रभावना कर रही हैं। निवर्तमान गच्छाधिपति आचार्यश्री इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. सा. एवं वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यश्री नित्यानन्दसूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए समय-समय पर शासन-सेवा का प्रमाण देते हुए परमात्म-भक्ति निमित्ते जिनमन्दिर