________________ 8 श्री शत्रुञ्जय तीर्थ का 15वाँ उद्धार आचार्यश्री सिद्धसेनसूरिजी तथा समरा शा ___ ( विक्रम सम्वत् 1371 ) मन्त्री बाहड़ शा के द्वारा बनाए हुए मन्दिर में तक्षशिला से जावड़ शा के द्वारा लाए हुए युगादिदेव की पूजा सुचारू रूप से हो रही थी / जैन धर्मियों की यात्रा, पूजा, महोत्सव आदि सभी धार्मिक आराधनाएँ अच्छी तरह से हो रही थीं / परन्तु इसी बीच वि. सं. 1357 में वाघेलावंशीय करणघेला को हराकर मुगल सम्राट अलाउद्दीन ने पाटण को अपने कब्जे में कर लिया / गुजरात से लेकर लाहौर तक के सभी देशों को जीत लिया / इस्लाम के नशे में चकनाचूर बने बादशाह ने चारों ओर कालाकेर मचा दिया / स्थान-स्थान पर मन्दिरों का नाश करने लगा / लाखों की संख्या में उसने मन्दिरों की मूर्तियों को तोड़कर चकनाचूर कर दिया / यह मुगल सम्राट विलासी, क्रोधी, निर्दयी, निष्ठुर, महान जुल्मी, हठमनोबली और पराक्रमी था / लगभग चालीस हजार जितने नए बने मुसलमानों को इसने जीवित ही कटवा दिया था / महाराणी पद्मिनी को प्राप्त करने के लिए इसने चित्तौड़ पर हमला करके भीमसिंह का खून कर दिया था / / वि. सं. 1369 में अलाउद्दीन खिलजी एक लाख सैनिकों को साथ लेकर शत्रुञ्जय तीर्थ पर चढ़ा | ऊपर जाकर समस्त मन्दिरों को ध्वस्त कर दिया / मूलनायक भगवान को खण्डित कर दिया / जिससे चारों तरफ हाहाकार मच गया / सभी हिन्दू राजा कमजोर हो गए / दादा की मूर्ति के खण्डित होने का समाचार जब पाटण निवासी देशल शा को मिला तो वह सुनते ही बेभान हो गया / शीतोपचार करने से जब वह स्वस्थ हुआ तो पुनः कल्पान्त करने लगा / परिवार वालों ने मिलकर उसे शान्त 102