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________________ बादशाह के फरमान को प्राप्त करके वस्तुपाल ने मम्माणी खान में पाँच पाषाण शिलाएँ निकाली और बैलगाड़ियों पर रखाई / बैलगाड़ियों में जुड़ी हुई उन शिलाओं का प्रत्येक गाँव में बैण्ड-बाजों के साथ सामैया हुआ, पूजा हुई / धीरे-धीरे उन शिलाओं को सिद्धगिरिराज पर लाया गया / वहाँ पर एक गुप्त भोयरे में उनको रखा गया / वहाँ पर उन शिलाओं की एकाद पुजारी को गुप्त स्थल की जानकारी दी / (गुप्त स्थानों में रखी हुई शिलाएँ कब और कौन से उद्धार समय प्रकट की गई उसका वर्णन आगामी उद्धार कथानक में आएगा / ) __ यह थी वस्तुपाल की तीक्ष्ण-बुद्धि और दीर्घ-दृष्टि / वस्तुतः वस्तुपाल जिनशासन के महान श्रद्धालु श्रावक थे तथा ऑल राउण्डर थे / संस्कृत के खूब रसिक थे / अपनी प्रतिज्ञा पालन में अत्याधिक चुस्त थे / अपने जीवन को संस्कारी और धर्मिष्ठ बनाने के लिए ऐसे व्यक्तियों का आदर्श अपने सामने रखना चाहिए / सौ कुए खुदवाने की अपेक्षा एक बावड़ी बनवाना उत्तम है / सौ बावड़ियों की अपेक्षा एक यज्ञ कर लेना उत्तम है / सौ यज्ञ करने की अपेक्षा एक पुत्र को जन्म देना उत्तम है। और सौ पुत्रों की अपेक्षा भी सत्य का पालन श्रेष्ठ है / 101
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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