________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित अपेक्षा थोडा भी कहना अच्छा है' इसी न्याय को स्वीकार कर अल्प वर्णन करके राज सभा का परिचय कराता हूँ। यह अवन्तीनगरी भूमि पर स्वर्ग की अनुपम शोभा दिखाने के लिये मानो अलकापुरी हो। अवन्ती वर्णन अवन्तीनगरी के एक तरफ तो क्षिप्रा नामक नदी मन्द 2 गति से बह रही है / मानो थके हुए अभ्यागत का स्वागत करके श्रम दूर करनेके लिये ही बहती हो। दूसरी तरफ अनेक फल-फूल युक्त लता तथा अशोक आम्रादि उत्तम जाति के वृक्षों तथा भ्रमर, कोकिल. आदि पक्षियों से गुंजायमान बहुत सुन्दर बाग-बगीचे हैं / नगर--प्रवेश के द्वार बहुत ऊचे तथा मजबूत हैं, जिससे शत्रुका आक्रमण नहीं होसकता। ' महल व राजसभा का वर्णन - नगरी के बड़े 2 सुन्दर महलों के बीच में लोगों का आकर्षण करता हुआ सुन्दर राजमहल शोभा दे रहा है। राजमहल के घूम्मज परकी ध्वजा आकाश के साथ स्पर्धा कर रही है और पवन के साथ खेल कर अपना आनन्द व्यक्त कर रही है। यह राजभवन अन्दर से बड़ा ही सुरम्य है बड़े ऊँचे .. * विशालकाय स्तम्भोंसे युक्त तथा बहुत प्रकार के कलापूर्ण चित्रोंसे मनुष्यों का आकर्षण कर रहा है। छत के उपर विविध प्रकार के मीनाकारीगरी और पञ्चरंगी अनेक जातीय फूल तथा सुन्दर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org