________________ मुनि निरंजनविजतसंयोजित - अर्थात् मदोन्मत्त गजराज का मस्तक विदारने की स्पृहा (इच्छा) वाला मानियों में अग्रेसर सिंह, भूख से व्याकुल भी हो, वृद्धावस्था से जर्जरित भी हो, इन्द्रियों से शिथिल हो गया हो और आपत्तियुक्त हो, किसी कष्ट दशा को प्राप्त हो तथा प्राण भी जाता हो तो भी क्या सुखा घास खा सकता है ? अर्थात् नही खाता है। राज्यप्राप्ति का संकेत फिर कुछ देर बाद श्रृंगाली का शब्द सुनकर भट्टमात्र ने अवधूत विक्रम से कहा कि अब फिर यह बोलती है कि एक मास में तुम्हें अवन्ती का राज्य मिलेगा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org